Wednesday, May 5, 2021

हाँ!मैं औरत हूँ

◆◆हाँ! मैं औरत हूँ◆◆

नए ज़माने के साथ मैं भी
क़दम से क़दम मिला रही हूँ
घर के साथ साथ बाहर भी
ख़ुद को कर साबित दिखा रही हूँ
हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का
लोहा भी मनवा रही हूँ
हाँ! मैं औरत हूँ
नहीं किसी की जागीर हूँ

तन से कह लो भले अबला मुझे
पर मन से बेबस मत समझ लेना
हौसला हिमालय सा धारण करती हूँ
मैं आकाश सा हृदय भी रखती हूँ
फिर भी झुक जाती हूँ अपनों की ख़ातिर
मैं रिश्तों की शिल्पकार हूँ
हाँ! मैं औरत हूँ
नहीं किसी की जागीर हूँ

हक़ दो घर मुझ पर जताते हैं
पर मेरा घर है कौन सा?
नहीं ये बताते हैं
परिवार मुझसे ही,हूँ घर भी मैं
रहती हूँ खुश अपनों की खुशियों में
सपने स्वयं के लिए मैं बुनती नहीं
हर रिश्ते की सुंदर तस्वीर हूँ
हाँ ! मैं औरत हूँ
नहीं किसी की जागीर हूँ

मैं सभ्य हूँ! जब तक पुरुष के पीछे हूँ खड़ी
मैं स्वछन्द हूँ! 9गर अपनी बात पर हूँ अड़ी
परिभाषा ही बदल जाती है मेरी
जब राह अपनी स्वयं चुन लेती हूँ
मैं गृहलक्ष्मी हूँ ! गर रिश्ते सहेजती हूँ
मैं कुल्टा भी हूँ!गर रिश्तों मुँह मोड़ती हूँ
धरती के जैसी तकदीर हूँ
हाँ! मैं औरत हूँ
नहीं किसी की जागीर हूँ।
★★★
प्राची मिश्रा


15 comments:

  1. अति सुन्दर प्रस्तुति मैडम

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  2. अति सुन्दर प्रस्तुति मैडम

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  3. मैं सागर कुमार मैं एक गवरमेन्ट इमपोलाइ हुं,आप कि कविता और एक आपने देश के हमारे वीर सैनिक की पत्नी यो के लिए गाया है बहुत हि सुन्दर सबदो मे अपनी पंथियों को प्रस्तुत किया था जय हिन्द जय भारत जय श्री राम

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  4. हर रूप में नारी क़ो चित्रित किया है आपने
    हर रूप सजा श्रृंगार किया
    हर हाल में ममता मान्य है
    नारी हर रूप में सम्मान तेरा

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  5. शानदार...👌👌😊😊

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  6. बहुत सुन्दर रचना प्राची जी🙏💐

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  7. This comment has been removed by a blog administrator.

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  8. Very nice very burtyful

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  9. Hello mam Kya aap kisi news Chanal ke sath join ho skti h I AM UTKARSH SHUKLA ONWER MINERVA NEWS LIVE 8922804038

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  10. अंतर्मन से क्या बात लिख दिए ऐसा लगता है अपने जज़्बात लिख दिए शानदार लेखनी को प्रणाम

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हाँ!मैं औरत हूँ

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