◆◆ पेड़ जीवित रहने दो◆◆
कुछ पेड़ तो जीवित रहने दो
कुछ प्राणवायु भी बहने दो
मानव के भीतर की मानवता को
यूँ न हरपल मरने दो,
कुछ पेड़ तो जीवित रहने दो
जब प्रकृति ने श्रृंगार किया
तरु को अपना अलंकार किया,
जब मानव लालच से हार गया
हर बार धरा पर वार किया
ये धरा सुहागन रहने दो
कुछ पेड़ तो जीवित रहने दो
घर के कोने का बूढ़ा बरगद
जो रहता था होके गदगद
जहाँ पंछी राग सुनाते थे
मानव भी आश्रय पाते थे
उसे बेदर्दी से काट दिया
और नई प्रगति का नाम दिया
अब और कहाँ कुछ कहने को
कुछ पेड़ तो जीवित रहने दो
हम नवयुग के प्रहरी बनके
चलते हैं सीना तन तन के
हम आज के पल में जीते हैं
क्या फ़िकर कल तो अभी पीछे है
हम निर्माण नया नित करते हैं
कल की परवाह न करते हैं
जो होता है वो होने दो
कुछ पेड़ तो जीवित रहने दो
कल होगा क्या सोचो भाई
जब धरा करेगी भरपाई
हर तरु का हिसाब वो मांगेगी
तब सोई आँखें ये जगेंगी
जब मेघ नहीं ये बरसेंगे
हम बूँद बूँद को तरसेंगे
जब विष प्राणवायु बन जाएगी
जब घड़ी प्रलय की आएगी
सब कुछ धुआँ हो जाएगा
तब अर्थ काम नहीं आएगा
ये बात मुझे अब कहने दो
कुछ पेड़ तो जीवित रहने दो
बस देर हुई अब थोड़ी है
वृक्षों ने आस न छोड़ी है
हम अंकुर नया लगाएंगे
धरती का श्रृंगार लौटाएंगे
★★★
प्राची मिश्रा
बहुत सुंदर लिखा है
ReplyDeletedidi aap ne nojoto me apni post kyu delete kar diya???
ReplyDeleteplease btaiye🙏🙏
ReplyDeleteagr reason kisi ka comment hai to aisi kon jagah hai jaha koi comment nhi kar sakta
kuchh din pahle bhawna didi ke show me yhi hua tha par iska matlab ye nhi ki hm hi chhip jaye
please aap aisa kariye
aur ek bat kb tk ham kisi se kuchh accept nhi karte tb tk hme koi kuchh nhi de sakta
aapka bhai aapke sath 😊😊😊🙏🙏🙏💓💓💓💓💓
बहुत सुन्दर रचना प्राची जी🙏💐
ReplyDeleteBahut khubsurat rachna
ReplyDeleteNice to see you you are too far I am in london
ReplyDeleteUmda
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