Saturday, April 17, 2021

समय तो लगता है

◆◆समय तो लगता है◆◆

समय तो लगता है
हिमपर्वतों का हृदय पिघने में
जमी हुई शून्य भावनाओं में
पुनः जीवन भरने में
सूर्य की किरणें लुटाती हैं
अपना सर्वस्व उस पर
दे ऊष्मा अनंत प्रेम की नित दिन
समय तो लगता है
प्रेम अश्रु नैनों से ढलने में

समय तो लगता है
प्रगति के पथ पर जाने में
बाधाओं को हृदय से लगाकर
पीड़ाओं को सहचरी बनाकर
निरन्तर कंटकों से पार पाने में
आशा के बस एक जगमग जुगनू से
प्रकाशमय सारा जीवन बनाने में
समय तो लगता है
सफलता से भेंट हो जाने में

समय तो लगता है
बीज में सोया विशाल बरगद जगाने में
विश्वास की एक बूँद को सागर बनाने में
जीवन तो जीते सभी हैं यहाँ पर
पर जीवन को जीने योग्य बनाने में
हृदय जो नहीं दुखते परपीड़ा में
समय तो लगता है
पाषाणों में पुष्प प्रेम का खिलाने में

समय तो लगता है
प्रेम का सच्चा मर्म पाने में
मैं और तुम से"हम" हो जाने में
तन की माया से बहुत ऊपर उठ जाने में
प्रेम "राधा" और "मीरा" सा हो जाने में
अधरों के हिले बिना ही बात सारी हो जाये
ऐसा प्रेम आधार पाने में
समय तो लगता है
धरा पर स्वर्ग लाने में
★★★
प्राची मिश्रा


6 comments:

  1. Nice line didi

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  2. Prachi medam ji ap bahut achchhi
    Kavita likhti ho

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  3. समय तो लगता है शब्दों को लिखने में पढ़ने में समझने में 🙏🙏

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