Thursday, April 1, 2021

मुक्तक


प्रेममय मैं रहूँ प्रेममय तुम रहो
प्रेम ही मैं सुनूँ प्रेम ही तुम कहो
प्रेम तो है अमर जग रहे ना रहे
प्राण में मैं रहूँ स्वास में तुम रहो।
★★★
प्राची मिश्रा

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