◆◆तेरे प्यार का नगमा होंठो पर◆◆
कहते कहते रुक जाते हैं
जब पास तुम्हारे आते हैं
और बात उलझ सी जाती है
मेरे उलझे जज़्बातों की डोरी में
बस दिल की दिल में रह जाती है
जब तुमसे कुछ कहने जाते हैं
तेरे प्यार का नगमा होठों पर
हम धीरे धीरे गुनगुनाते हैं
तेरी आँखें कितनी हैं गहरी
हम डूबके ही रह जाते हैं
तेरी बेमतलब की बातें भी
बस यूँ ही सुनते जाते हैं lp
तेरे प्यार का नगमा होंठों पर
हम धीरे धीरे गुनगुनाते हैं
क्या महसूस तुम्हें भी होता है
मैं जो हरपल महसूस करूँ
आसमान गुलाबी सा जो है
ये महक भरी जो हवाएं हैं
क्या ये बस मेरा सपना है
या जादू सा कुछ तुम कर जाते हो
सब सोच के हम दिल ही दिल में
बस यूँ ही शरमा से जाते हैं
तेरे प्यार का नगमा होंठों पर
हम धीरे धीरे गुनगुनाते हैं।
★★★
प्राची मिश्रा
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