Monday, October 26, 2020

मैं बता तो दूँ

◆◆मैं बता तो दूँ◆◆


मैं जता तो दूँ
वो दबे जज़्बात
मैं बता तो दूँ
जो है दिल में बात
पर बिखर जाएगा
रिश्तों का घरौंदा
टूट पड़ेगा आसमान
ढह जायेंगी कई दीवारें
मैं सोच अपनी चला तो दूँ

भर चुकी हूँ विचारों से
और अनगिनत प्रश्नों से
अंतर्मन में बंदी है जो
मेरी जैसी एक और मैं
स्वतंत्र उसे कर तो दूँ
पर रह जाऊंगी अकेली
मैं असली चेहरा दिखा तो दूँ

हर रोज़ खोदती हूँ
एक कब्र,मन में अपने
और दबा देती हूँ
राज़ और जज़्बात कई
हर किसी के दिल में
होता है ये कब्रिस्तान
मैं अकेली तो नहीं
वो मुर्दे गड़े मैं जगा तो दूँ
पर है क्या कोई
समझने वाला उनको
मैं बात अपनी समझा तो दूँ

हर रोज़ जब होती हूँ तैयार
नहीं भूलती हूँ पहनना
एक मुखोटा ,दुनिया के लिए
एक नहीं कई हैं मेरे पास
जो बदलती हूँ मैं
वक्त और हालत देखकर
एहसास और इंसान देखकर
मैं असलियत अपनी दिखा तो दूँ
कौन पहचानेगा मुझे
मैं चेहरे से पर्दा हटा तो दूँ।

ये सारी क़वायद
दुनिया में जीने के लिए
साथ सबके हँसने
और रोने के लिए
ये कहानी है सबकी
इंसानों की हर बस्ती की
पर कौन मानेगा
ये कहानी है उसकी
मैं भीड़ में उंगली उठा तो दूँ।
★★★
प्राची मिश्रा


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