◆◆ शिकायत नहीं है◆◆
मुझे नहीं है शिकायत किसी से
जो है जैसा है जितना है काफी है
मेरे हिस्से का है मिला जो मुझे
मेरी किस्मत ने जो भी दिया है मुझे
वो लोग जो करते हैं उल्फ़त मुझे
और करते हैं जो नफ़रत मुझसे
वो सब भी क़ुबूल हैं मुझको
मुझे नहीं है शिकायत किसी से
वो छत जो मेरा जहाँ बन गयी
वो माँ जो मेरा आसमां बन गयी
वो गुल्लक के चंद सिक्के अमानत मेरी
वो मैली सी चादर सुकून बन गयी
वो धुधंला सा आईना जो दीवार पर टँगा
बड़ी साफ सी सूरत दिखाता मेरी
सब कुछ बहुत है उम्दा यहाँ क्योंकि
मुझे नहीं है शिकायत किसी से
मेरी खुशियों का वो आँगन मैला सा
मेरे ग़मों का वो टूटा चबूतरा
वो साथी मेरे कुछ पक्के से
वो मटके पानी के कच्चे से
वो बारिश भी कुछ मटमैली सी
और गर्मी की रुत बड़ी रूखी सी
सब कुछ है बस मेरे लिए
क्योंकि मुझे शिकायत नहीं है किसी से।
★★★
प्राची मिश्रा
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