Thursday, June 25, 2020

कॉटेज भाग - 4 ' आईना '

                                                         कॉटेज भाग - 4  ' आईना '







नैना और रीना आज ऊटी से इलाहाबाद के लिए निकले पर उनकी फ्लाइट की टिकट बैंगलोर से थी क्योंकि रीना को अपने आफिस में कुछ काम था और उसे छुट्टी भी लेनी थी, रीना अपनी बहन नैना से बहुत प्यार करती थी और इस मुश्किल दौर में वो नैना का साथ हरगिज़ नहीं छोड़ सकती थी।

रास्ते में रीना ने नैना की ओर देखा उसका कांतिहीन चेहरा और बेजान शरीर बहुत ही निर्मम लग रहे थे, आखिर किस अपराध की सज़ा मिली थी उसको, बैंगलोर तक का सफर कार से तय करना ठीक लगा क्योंकि नैना की तबियत अभी भी ज्यादा ठीक नहीं थी, रीना रास्ते में नैना का पूरा ध्यान रख रही थी।
उसने नैना से पूछा   "दीदी क्या आपको सच में याद नहीं आपके साथ उस कॉटेज में क्या हुआ था?"
नैना ने कार से बाहर की ओर देखते हुए एक लंबी सांस भरी और कहा
"मैं अगर चाहूँ तो भी उस भयानक कॉटेज और उसमें कटे वो नर्कीय दिन कभी भी भुला नहीं पाऊंगी" और नैना के चेहरे का रंग बदल गया उसके हाँथ काँपने लगे।
"पर आपने तो सभी से कहा की, आपको कुछ याद नहीं" रीना ने पूछा
"क्या बताती उनको,वो लोग कभी भी मेरी बातों पर यकीन नहीं करते और ना ही वो लोग उस दर्द को समझ पाते जो मैंने महसूस किया है,उनके लिए तो ये सब एक भूत प्रेत की बनावटी कहानी ही होती"

नैना का दर्द छलक उठा वो अपने निरन्तर बहते आंसुओं को पोंछने लगी,रीना ने उसे गले से लगा लिया और सांत्वना देते हुए बोली  " दीदी मैं समझ सकती हूं आप क्या महसूस कर रही हैं अगर आप चाहें तो मुझे बता सकती हैं ,आपका मन हल्का हो जाएगा,ये मैं आप पर छोड़ती हूँ अगर आप नहीं बताना चाहतीं तो कोई बात नहीं"

नैना ने खुद को संभाला और अपने आंसुओं को पोंछते हुए बोली  " न जाने क्यों मेरा मन ऊटी जाने के नाम से ही बेचैन था पर रोहित की ख़ुशी को देखकर कुछ बोल न सकी ,बार बार अजीब से संकेत मिलते रहे फिर भी मैं नहीं संभली ,और उस रात न जाने क्यों ना चाहते हुए भी उस कॉटेज के पास जा पहुंची ,ऐसा लगा अगर सच में किसी को मेरी जरूरत होगी और अगर मैं उसकी मदद ना करूँ तो कल कंही ये मेरे पछतावे का कारन न बन जाये ,बस यही सोच कर रोहित को बिन बताये उस बंद पड़े कॉटेज की तरफ चल पड़ी थी मैं "

"लेकिन वहां था क्या दीदी ?"   रीना ने उद्विग्न होते हुए पूछा 

"चारों तरफ अँधेरा और मनहूसियत थी वहां ,जैसे ही कॉटेज के पास गयी किसी के रोने की आवाज आ रही थी ,बहुत डर लग रहा था और दिल जोर जोर से धड़क रहा था फिर भी सोचा की देख लेती हूँ क्या पता कोई तकलीफ में हो ,यही सोच गलत थी मेरी ,जब अंदर गयी तो देखा वहां कोई भी नहीं था बस घुप्प अंधेरा था ,यूँ लग रहा था दीवार दीवारें मुझे दोनों हांथो से पकड़ने की कोशिश कर रही हों ,जैसे छत मुझे घूर रही हो और फर्श बस मुझे अभी निगलने के लिए मुंह फाड़ने वाली हो ,मैं दरवाजे से चिपकी हुई थी और रोहित को पुकार रही थी ,पर कोई भी मुझे नहीं सुन रहा था,महसूस हो रहा था कोई है जो मेरे आस पास है और मुझे घूर रहा है,दरवाजा पीटते पीटते कब नींद आ गयी कुछ पता ही नहीं चला ,जब सुबह नींद खुली तो खुद को बहुत ही कमज़ोर महसूस कर रही थी जैसे किसी ने मेरे शरीर की सारी ताकत निचोड़ ली हो ,बाहर झांक कर देखा तो रोहित उस बहरूपनि के साथ था,कुछ समझ नहीं आया ,अपना दिमाग धुनती रही और सोचती रही ,लेकिन एक बात अच्छी थी की कॉटेज में पानी था जिसने मुझे जिन्दा रखा ,अब हर रात मैं दरवाजे से चिपक कर उसके खुलने का इन्तजार करती और सुबह खुद को और कमजोर पाती ,अगर उस कपल ने दरवाजा नहीं खुलवाया होता तो मेरा मरना तो तय था " और नैना सुबक पड़ी 

रीना ने फिर से नैना को संभाला और उसे पीने के लिए पानी दिया |

"एक और बात थी ,जो मुझे परेशान कर रही है " नैना ने पानी का घूँट लेते हुए कहा 

"और वो क्या है दीदी" रीना ने पूछा 

"अगर आरती की आत्मा रोहित के साथ चली गयी थी तो मुझे ऐसा क्यों महसूस होता था कि कोई मेरे आस पास है,कानों में किसी के फुसफुसाने की आवाजें आती रहती थीं,क्या वहाँ और भी कोई था"
नैना ने रीना को बताया

"दीदी ये बातें बहुत ही डरावनी हैं आप बहुत ही हिम्मतवाली हैं,आपकी जगह कोई और होता तो शायद पहले दिन ही मर गया होता"
रीना ने नैना का हाँथ पकड़ते हुए कहा

"शायद रोहित के प्यार ने मुझे मरने नहीं दिया" नैना ने कहा

दूसरे दिन रीना और नैना प्रयागराज पहुँच गए ,और एक होटल में कमरा बुक करके वहीं रुक गए।

"रीना रोहित को कॉल करो और पूँछो वो कहाँ है" नैना ने कहा

रीना ने झट से रोहित को कॉल किया  "हैलो जीजू आप लोग प्रयागराज पहुंच गए क्या?"

"हाँ रीना हम प्रयागराज में ही हैं,तुम्हारी दीदी भी ना पता नहीं कहाँ कहाँ घुमाती रहती है,हम मदर टेरेसा स्कूल घूमने आए हैं," रोहित ने कहा।

"अच्छा ,गुड गुड,,, वैसे दीदी कहाँ हैं " रीना ने पूँछा
"अभी बात कराता हूँ, अरे अभी तो यहीं थी कहाँ चली गयी,में थोड़ी देर से कॉल करता हूँ" ये कहते हुए रोहित ने फ़ोन काट दिया ,और नैना को ढूंढने लगा ,बहुत ढूंढने के बाद देखा तो नैना इंक्वायरी रूम में थी, रोहित नैना के पास गया और पूँछा "अरे तुम यहाँ हो मैं तुम्हे कब से  दूध यह रहा था,क्या कर रही हो तुम,चलो रीना का कॉल आया था वो तुमसे बास्त करना चाहती थी,चलो चलें"

"अरे कुछ भी नहीं मैं तो बस यूँ ही यहाँ आ गयी थी, तुम चिंता मत करो मैं रीना को बाद में कॉल कर लूंगी ओके। " नकली नैना ने मुस्कुराते हुए कहा।

इधर रीना ने नैना को सारी बात बताई तो नैना ने रीना से कहा "तुम रोहित कॉल करो और मेरी बताई जगह पर आने को कहा पर उसको बोलना वो अकेले ही आये"  , रीना ने वैसे ही किया ।

और थोड़ी देर बाद रोहित ,रीना की बताई हुई जगह पर आ गया,
"अरे रीना तुम प्रयागराज में क्या कर रही हो, तुमने तो मुझे सरप्राइज ही दे दिया, और ये अजेले आने की बात क्यों की " रोहित ने कहा

"जीजू आप मेरे साथ आइये मैं सब बताती हूँ " रीना ने रोहित को समझाते हुए कहा।

रीना ने रोहित को बड़े हनुमान मंदिर में बुलाया था वहाँ के पुजारी बहुत सी सिद्ध शक्तियों के उपासक थे ,नैना को ये बात उसकी माँ ने बताई थी ,और इस समस्या से निबटने का ये एक बेहतर तरीका था इसिलिये नैना पुजारी जी के पास आई थी और सारी बातें साफ हो जाएं इसिलिये  उसने रोहित को भी बुला लिया था।

रीना रोहित को लेकर मंदिर के अंदर पहुँची ,पुजारी जी अपने आसान पर बैठे थे ,सामने भगवान की बड़ी सी प्रतिमा थी , "आओ बेटा ,अंदर आओ" पुजारी जी ने रोहित को बुलाया।
"प्रणाम गुरुजी" रोहित ने उनके पैर छूते हुए कहा ,और बैठ गया वो अब भी कुछ समझ नहीं पा रहा था आखिर रीना उसे मंदिर में क्यों लेकर आई है।

"जीजू मैं आपको जो बात बताने चाहती थी उसके लिए मंदिर से बेहतर और कोई जगह नहीं हो सकती थी और पुजारी जी आपकी सारी दुविधाओं को दूर करेंगे बस आप समझने की कोशिश कीजियेगा"
रीना रोहित को समझाते हुए बोली।

"ठीक है ,पर बात क्या है मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है और थोड़ी घबराहट भी हो रही है क्या तुम मुझे साफ साफ बताओगी "
रोहित ने कहा

"ठीक है, सब बताती हूँ,,,, दीदी बाहर आ जाईये" रीना ने पुकारा
और नैना बाहर आई, नैना को देखकर रोहित और कंफ्यूज हो गया,क्योंकि वो जिस नैना के साथ था वो तो अच्छी खासी तंदुरुस्त थी,तो फिर सूखे से शरीर और मुरझाये से चेहरे वाली ये दूसरी नैना कौन है?

"य ये क कौन है रीना,बिल्कुल मेरी नैना की तरह पर इतनी कमज़ोर और मुरझाई सी मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ,मैं नैना को तो अभी होटल में छोड़ कर आया हूँ" रोहित ने घबराते हुए कहा

"बेटा ये सब प्रकृति की माया है,जो तुम्हारे साथ है वो बस एक परछाई है ,एके अतृप्त आत्मा ,जो अपने अधूरे काम पूरे करने के लिए तुम्हारी पत्नी का रूप लेकर आई है, और ये तुम्हारी असली पत्नी है और में इसे प्रमाणित भी कर सकता हूँ" पुजारी जी ने रोहित को शांत करते हुए कहा।

"पर मैं कैसे मान लूँ ,ये कैसे हो सकता है,ये क्या हो रहा है,में पागल हो जाऊंगा" रोहित उद्विग्न होने लगा।

"मैं ही तुम्हारी नैना हूँ, ये शॉल तो याद होगा तुम्हें" नैना ने रोहित की तरफ वो गुलाबी शाल बढ़ाते हुए कहा ।

"ये शॉल तो, इसका मतलब तुम मेरी नैना" रोहित रो पड़ा और नैना को गले से लगा लिया।
रोहित के गले लगकर नैना अपनी सारी तकलीफ़ें भूल गयी ,दोनों आँसुओं से सराबोर हो गए, और अपनी तकलीफ़ें बाँटने लगे।

"तुम्हारी ऐसी हालत कैसे हो गयी नैना?,क्या इसकी वजह वो है जो मेरे साथ है,ये क्या हो गया तुम्हे,तुमने मुझे कुछ बताया क्यूँ नहीं"
रोहित बस खुद को कोस रहा था।

"हाँ!! मेरी इस हालत की जिम्मेदार वो ही है, पर उसके पीछे भी एक दर्द भरी कहानी है" और नैना ने सारी बात विस्तार से रोहित को बताई।

रोहित की आंखें नैना के दर्द को सुनकर बस आँसुओं से भरी थीं।

"पर अब आगे क्या" रोहित ने कहा
"हमें आरती सिंह के बारे में पूरी जानकारी निकालनी होगी, और उसके यहाँ आने का मकसद पता करना होगा ,इसमें हमें पुलिस की मदद भी लेनी होगी और पुजारी जी भी हमारी मदद करेंगे, तुम अभी उस आत्मा के साथ ही रहो उसे शक हुआ तो वो फिर से हमें नुकसान पहुंचा सकती है" नैना ने कहा

"क्या तुमने कुछ अजीब महसूस किया ,जब से वो आत्मा तुम्हारे साथ है बेटा" पुजारी जी ने पूछा

"ऐसा कुछ खास तो नहीं, पर हाँ उसने घर आते ही बेडरूम का आईना निकाल दिया ,मैंने जब पूँछा तो बोली आप बाथरूम वाला उसे कर लो ,मुझे किसी ज्योतिष ने कुछ दिन तक आईना बेडरूम से हटाने के लिए कहा है,और हाँ जबसे वो आयी है मैंने उसे कुछ भी खाते पीते नहीं देखा ,कुछ बोलता था तो डाइटिंग में हूँ या बाद में कहा लूँगी या पहले ही खा लिया कहकर टाल देती थी, वो मेरे साथ सोती भी नहीं थी ,कहती थी कुछ दिनों के लिए अलग सोने के लिए किसी बाबा ने कहा है ,मैं भी नैना से बहुत प्यार करता हूँ इसलिए उसकी गर बात की रिस्पेक्ट करता रहा" रोहित ने कहा

"वो एक परछाई है ,इसलिए वो खा पी नहीं सकती और आईने में उसे उसका असली रूप दिखाई देता है जो वो तुम्हें दिखा नहीं सकती इसीलिए उसने आईना हटा दिया, लेकिन नैना के साथ उस कॉटेज में कोई और भी था,"एक पिशाच", जिसने नैना के शरीर से थोड़ी थोड़ी करके खून चूसा ,वही उस कॉटेज की रखवाली कर रहा था और उसी ने आरती की आत्मा को बाहर निलकने में मदद की,दोनों का निदान करना होगा" पुजारी ने कहा

"मैं आरती सिंह के बारे में पता लगाऊँगी" रीना ने कहा

"रोहित अब तुम मुझसे तब तक नहीं मिलोगे जब तक सब ठीक नहीं हो जाता,मैं तुम्हारी जान खतरे में नहीं डाल सकती,हम फोन और massages से बात करते रहेंगे" नैना ने कहा।

"बेटा ये लो अभिमंत्रित आईंना और रक्षा सूत्र तुम्हारी सुरक्षा के लिए, आज रात उसके सोने के बाद तुम इस आईने में उसकी असली सच्चाई देख सकते हो ,और इससे वो तुम्हें नुकसान भी नहीं पहुंचा पाएगी ,ईश्वर तुम्हारी रक्षा करें" पुजारी जी ने रोहित को आशीर्वाद देते हुए कहा।

"ठीक है ,नैना मैं चलता हूँ ,अपना ख्याल रखना ,हम जल्द ही इस मुसीबत से पीछा छुड़ा लेंगे "रोहित ने नैना का हाँथ पकड़ कर हिम्मत देते हुए कहा, और वहाँ से चला गया।

इधर रीना ने आरती सिंह के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया।

रोहित होटल पहुँचा तो देखा वो दूसरी नैना सो चुकी थी,उसने सोचा आईने का इस्तेमाल करके देखता हूँ,उसने आईना निकाला  और उस आत्मा के चेहरे के पास लाकर देखा तो रोहित की आंखें फटी की फटी रह गईं ,उसका चेहरा बहुत ही भयानक था ,चेहरे का माँस दिख रहा था उस पर कीड़े रेंग रहे थे,रोहित डर से काँपने लगा कि तभी उस आत्मा की आँखे खुल गईं और रोहित के हाँथ से आईना नीचे गिर गया,उसने अपने हाँथ के इशारे से रोहित दीवार पर चिपका दिया और उसका गला मरोड़ने लगी,तभी रोहित को रक्षा सूत्र का खयाल आया उसने जेब से उसे निकाला और ज़ोर से उस आत्मा की तरफ फेंका, जिससे आत्मा ने रोहित को तड़ से नीचे पटक दिया और हवा की तरह खिड़की से बाहर निकल गयी,रोहित ने रक्षा सूत्र गले मे पहन लिया ,और नैना को कॉल कर सब कुछ बता दिया।
"रोहित तुम इसी वक्त मेरे पास आ जाओ" नैना ने कहा
और रोहित नैना के होटल जा पहुँचा वो बहुत ज्यादा डरा हुआ था और कांप रहा था।
अब किसी भी तरह आरती की आत्मा का मकसद पता कर इस डर से पीछा छुड़ाना था उन तीनों को।

क्रमशः

क्या है आरती की सच्चाई,क्यों गयी थी वो मदर टेरेसा स्कूल,क्या रोहित खुद को आरती की आत्मा से बचा पायेगा,कैसे उस कॉटेज वाले पिशाच से मुक्ति मिलेगी, पढ़िए अगले अंक में।

1 comment:

  1. #पीयूष piyush.okos@gmail.comAugust 12, 2020 at 11:21 PM

    रात के 11.20 बजे इस कहानी को पढ़ा है , भूत प्रेत का जिक्र है इसमें , सोचिये क्या भाव आये होंगे कहानी पढ़ते हुए , जरूर पढिये

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