कॉटेज भाग - 3 ' वेटर '
आज नैना और रीना उस होटल में गए जहाँ नैना और रोहित रुके थे,और काउंटर पर जाकर होटल में कर्मचारी से उस बन्द कॉटेज के बारे में पूँछ तांछ शुरू की।
होटल के कर्मचारी कुछ भी बताने को तैयार नहीं थे ,उन्होंने कहा कि उस कॉटेज की ऐसी कोई हिस्ट्री नहीं है ,जो कि किसी बुरी घटना से जुड़ी हो ,पर नैना को इस पर विश्वास नहीं हुआ पर वो हार नहीं मानना चाहती थी इसलिए उसने होटल के मैनेजर से मिलने की बात कही।
बड़ी रिक्वेस्ट के बाद होटल वालों ने नैना की मुलाकात होटेल के मैनेजर से कराई।
"हैलो मैं ही इस होटल का मैनेजर हूँ ,"विकास कामत" बताइये क्या मदद कर सकता हूँ आपकी" मैनेजर ने कहा
नैना ने कहा
"सर पिछले दिनों मेरे साथ जो हुआ वो आपसे छुपा तो नहीं है,पर मैं पुलिस को इसमें इन्वाल्व नहीं करना चाहती थी इसीलिए मैंने उन्हें कुछ भी नहीं बताया ,पर मैं ये नहीं मान सकती कि उस कॉटेज में कुछ भी नहीं, क्योंकि मेरे साथ जो कुछ भी हुआ है, आप इमैजिन भी नहीं कर सकते"
नैना की आंखें भर सी आयीं और गला रुंध सा गया...
"देखिए ,मैडम ये हमारे होटल की रिपोटेशन का सवाल है ,फिर भी जैसा कि आपने पुलिस को कुछ ना बताकर हमारी मदद की है,तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता है मुझसे जो हो सके मैं आपकी मदद करूं"
होटल मैनेजर ने नैना की तरफ देखते हुए कहा।
"आपका बहुत शुक्रिया" नैना ने कहा
"मैडम ये बात दो साल पहले की है ,उस कॉटेज में एक कपल रुका हुआ था, और उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि हमें वो कॉटेज रातों रात बन्द करना पड़ा और हमनें उस कॉटेज में बुकिंग्स देना बंद कर दिया मैडम" मैनेजर ने कहा।
"पर ऐसा क्या हुआ था उस कपल के साथ " नैना ने उत्सुकता से पूछा
"मैडम , उनके साथ बड़ी अजीब घटना हुई थी ,जो हसबैंड वाइफ वहां रुके हुए थे,वो दिल्ली से छुट्टियाँ बिताने यहाँ आये थे और जिस दिन वो यहाँ आये थे,उस दिन तो सब ठीक रहा पर अचानक रात में उस आदमी की ज़ोर ज़ोर से चीख़ने की आवाजें आने लगीं ,जब होटल स्टाफ़ ने जाकर देखा तो ,वो औरत खून नहाई टूटी हुई बोतल लेकर उस आदमी पर वार कर रही थी उस वक्त वो बड़ी ही भयानक लग रही थी उसके बाल बिखरे हुए थे और चेहरा खून से लाल था,वो आदमी बहुत ही बुरी हालत में था और हॉस्पिटल ले जाते समय उसकी मौत हो गयी थी" मैनेजर ने गम्भीर होकर कहा।
"लेकिन इस औरत ने ऐसा क्यों किया क्या वो नशे में थी या फिर कोई मेंटल प्रॉब्लम या दोनों में कोई झगड़ा हुआ था" नैना की उत्सुकता और बढ़ गयी।
"मैडम ,पहले हमें भी यही लगा,पर थोड़ी ही देर में वो औरत नार्मल हो गयी और चीख चीखकर रोने लगी ,वो अपने पति की ऐसी हालत देखकर सभी से पूँछ रही थी "ये किसने किया ये कैसे हुआ",और जब हमनें बताया कि "ये सब आपने ही तो किया है" ,तो वो बोली वो ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि वो अपने पति से बेहद प्यार करती है और वो तो सो रही थी, अभी अभी उसकी नींद खुली है और पुलिस ने उसके सारे टेस्ट करवाये थे न तो वो नशे में थी और न ही कोई मेंटल प्रॉब्लम थी उसको ,
"उसके बाद कुछ दिन पुलिस इन्वेस्टिगेशन के लिए वो कॉटेज बंद रहा और बाद में भी उसमें कुछ अजीब एक्टिविटी होने के कारण ,हमारा स्टाफ़ भी वहाँ जाने से डरने लगा और मज़बूरन एक पादरी को बुलवाकर उस कॉटेज को हमेशा के लिए बंद करा दिया गया" मैनेजर ने बताया।
"क्या आप मुझे उस कपल का कॉन्टैक्ट नम्बर दे सकते हैं" नैना ने कहा
"मैं दे देता मैडम ,पर आप बात किससे करेंगी उनके परिवार में वो दो हसबैंड वाइफ ही थे ,और पति की मौत हो चुकी है और पत्नी उसके कत्ल की सज़ा काट रही है " मैनेजर ने कहा
"ओह ! कोई बात नहीं, क्या बस यही बात है,,,? और कुछ अगर आपको याद आ रहा हो तो आप बता सकते हैं सर" नैना ने कहा ।
"नहीं मैडम बस इतना ही है जो मेरे जेहन में है" मैनेजर ने कहा
"ओके थैंक यू सो मच" नैना ने कहा
"मैडम अगर आपको कोई ऐतराज ना हो तो एक बात पूँछ सकता हूँ?,"
मैनेजर ने नैना की ओर देखते हुए कहा।
"जी पूछिये " नैना ने कहा
"आप उस कॉटेज में कैसे पहुँची और एक हफ़्ते तक आप जिंदा कैसे रहीं" मैनेजर ने उत्सुकता दिखाते हुए कहा।
"सच कहूँ तो मुझे कुछ भी याद नहीं" नैना ने कहा
"कोई बात नहीं,पर आप ठीक हैं इस बात की खुशी है मुझे" मैनेजर ने कहा।
"तो फिर हम चलते हैं ,आपकी मदद के लिए बहुत शुक्रिया" नैना ने कहा
और फिर नैना और रीना वहाँ ने बाहर निकल गयीं
सामने देखा तो वही होटेल का कर्मचारी ,सामने से आते हुए दिखा , उसने नैना को देखकर अपना रास्ता बदल दिया और दूसरी तरफ चला गया, अब नैना का शक और गहरा गया,वो रीना से बोली "तुम बाहर चलो मैं एक मिनट में आई मुझे वाशरूम जाना है"
रीना ने कहा "ओके दीदी ई विल वेट आउटसाइड"
थोड़ी देर बाद नैना वापस आई और रीना के साथ बाहर निकल कर होटल के पास एक गार्डेन में जाकर बैठ गयी ।
"दीदी हम यहाँ क्यों बैठे हैं,अब तो आपको सब पता चल गया न तो होटल चलें " रीना ने पूछा
"नहीं रीना हमें जो पता है वो बस आधा रहस्य है पूरी बात अभी भी हमें नहीं पता है,वही बात पता करने के लिए हम यहाँ आये हैं" नैना ने कहा
"वो कैसे दीदी,क्या कोई आने वाला है" रीना ने कहा
"हाँ उसे आना ही होगा, क्योंकि अब उसके पास कोई चारा नहीं" नैना ने कहा।
"कौन आने वाला है दीदी" रीना ने उत्सुकता से पूछा
"होटल का वो कर्मचारी जिसके बारे में मैंने तुम्हें बताया था,उसका बरताव कुछ अजीब था,पहले दिन से ही जब मैं उससे मिली थी, आज फिर मुझे देखकर वो मुझसे छुपने लगा ,तो मैंने काउंटर पर एक चिट्ठी छोड़ी है उसके लिए" नैना ने कहा
इधर होटल में उस कर्मचारी को काउंटर वाला आदमी वो चिठ्ठी देता है,जिसे देखकर उसके पसीने छूटने लगते हैं, उसमें लिखा था
"मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानती हूँ,दो साल पहले जो कुछ भी हुआ था वो सब मैं जान चुकी हूँ ,अभी पास वाले गार्डन में आ के मिलो वरना पुलिस तुमसे ज्यादा दूर नहीं है"।
वो कर्मचारी गार्डेन पहुंचा ,नैना और रीना पहले ही उसका इंतजार कर रहे थे ,वह उनके पास गया और बोला
"मैं नहीं जानता ,कि आप क्या जानती हैं मेरे बारे में पर मैडम मैं एक ईमानदार आदमी हूँ और मैंने जो कुछ भी किया था वो मेरी मजबूरी थी,जिसके लिए मैं खुद को दिन रात कोसता हूँ, और कभी कभी तो मेरा मन करता है कि मैं पुलिस को सब कुछ बता दूं मैडम, पर फिर परिवार का खयाल मुझे रोक लेता है उनका मेरे सिवाय कोई नहीं "
इतना कहते कहते वो फूट फूट कर रोने लगा
"क्या तुम हमें अपनी ज़ुबानी बताओगे उस दिन क्या हुआ था" रीना ने कड़े स्वर में कहा।
"मैडम बात दो साल पुरानी है,होटल में एक आदमी और एक औरत रुकने के लिए आये उन्होंने वही कॉटेज बुक कराया जो अब बन्द पड़ा है,दोनों मैडम और सर बहुत ही अच्छे थे,और मैडम तो और भी अच्छी थीं,मैं दो दिन में उनका ख़ास बन गया था ,सब बढ़िया जा रहा था, सर ने मेरा कॉन्टैक्ट नम्बर भी ले लिया था और कहते थे ,तुम जब चाहो इलाहाबाद आ सकते हो,वो मुझे अच्छी खासी टिप भी देते थे, मैं भी उनका खास खयाल रखता था।" कर्मचारी ये सब नैना को बता रहा था
"और उस दिन शाम को मेरा बेटा सीढ़ियों से गिर गया उसे बहुत ज्यादा चोंट आ गयी उसका सर फट गया था ,तो डॉक्टर ने ऑपेरशन करने के लिए कहा और मुझसे डेढ़ लाख रुपये जमा कराने को कहा,मैं इतने पैसे कहाँ से लाता,अपनी बेबसी और मरते हुए बेटे को देखकर रोने के सिवाय कुछ नहीं सूझ रहा था।
होटल मालिक को फोन कर पैसे मांगे तो उसने ये कहके मना कर दिया कि "नए कर्मचारी को हम इतना एडवांस नहीं दे सकते",
तभी मुझे उन साहब का फोन आया, "पैसे चाहिए तुम्हें,तो अभी होटल आ के ले जाओ" और फोन काट दिया।
"उस दिन मौसम बहुत खराब था बारिश और तूफान जोरों पर थे ,मैं किसी तरह रात के अंधेरे में होटल पहुंचा रात काफी हो चुकी थी इसलिए होटल में चहल पहल भी ना के बराबर थी, मैं सीधे कॉटेज की तरफ गया, "सर दरवाज़ा खोलिये मैं हूँ जोसेफ़" ,मैंने आवाज़ लगाई"
सर ने थोड़ा सा दरवाज़ा खोलकर मुझे अंदर आने का इशारा किया और मेरे अंदर आते ही दरवाज़ा बन्द कर लिया।
अंदर कमरा बहुत फैला हुआ था , सिगरेट और शराब की गंध पूरे कॉटेज में फैली हुई थी, सर सोफे पर बैठ गए और फिर से एक सिगरेट जलाई और पीने लगे ,मैंने हिम्मत जुटाकर कहा
"सर मुझे पैसे की सख्त जरूरत है, मेरे बेटे के सर पे गहरी चोंट है अगर ऑपेरशन नहीं हुआ तो अनहोनी हो सकती है सर ,आप प्लीज मुझे पैसे दे दीजिए मैं ,थोड़ी थोड़ी करके आपके पास वापस कर दूंगा"
सर थोड़ा मुस्कुराये और मुँह से सिगरेट का कश लेते हुए बोले "आई नो जोसेफ़ तुम्हें पैसे की सख़्त जरूरत है तुम्हारे एक कलीग ने सब बताया मुझे ,इसीलिए मैंने तुम्हें यहाँ बुलाया है,मैं तुम्हें पैसे दे दूंगा अभी और हाँ उसे लौटने की भी कोई जरूरत नहीं हैं"
मैंने सर हाथ चूम लिए और रो पड़ा ,
तब सर ने फिर कहा " पर एक प्रॉब्लम है"
मैंने सर की तरफ देखा तो उन्होंने कहा " जोसेफ़ हर चीज की एक कीमत होती है,मैं तुम्हे पैसे दे दूंगा ,बस एक छोटा सा काम करना होगा तुम्हें"
"क्या काम है सर ,बताइये मुझे ,मैं करूंगा" मैं अपने बेटे को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार था।
"अच्छा सोच लो एक बार फिर " सर ने मुस्कुराते हुए कहा
तो मैंने भी कहा "मैंने सोच लिया है आप काम बताइये"
"तो फिर ठीक है ,आओ मेरे साथ" और सर ये कहते हुए मुझे बेडरूम की तरफ ले गए ,बेडरूम में घुसते ही मेरे पैर ठिठक गए ,आँखे फट गयीं ,बेड पर मैडम की लाश पड़ी थी,उनकी दोनों आँखे छत को ताक रही थीं और चेहरा नीला पड़ चुका था ,बेड पूरी तरह से अस्त व्यस्त था ऐसा लग रहा था ,किसी ने तकिये से मुँह दबा के मैडम को मारा हो और मैडम ने खुद को बचाने की बहुत कोशिश की हो।
मैं हक्का बक्का रह गया,
सर ने मेरी ओर देख कर कहा
"बहुत प्यार करता था मैं अपनी बीवी से पर ये बदचलन निकली,इसका अफ़ेयर चल रहा था किसी के साथ,जब मैंने इसे समझाने की कोशिश की तो मुझसे बहस करने लगी और मैंने गुस्से में इसे मार दिया,मुझे इसका कोई दुख नहीं"
मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था,बस मूर्ति की तरह खड़ा था।
"इसकी लाश को ठिकाने लगाने में मेरी मदद करो ,मैं तुम्हें दो लाख रुपये दूँगा" सर से कहा।
"पर पर मैं कैसे सर,किसी ने देख लिया तो आप और में दोनों फंस जायेंगे ,मेरे पीछे मेरा पूरा परिवार है सर " मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
"इसीलिए तो तुम्हें बुलाया है मैंने,क्योंकि तुम ऊटी के चप्पे चप्पे से वाकिफ़ हो ,कोई ऐसी सुनसान जगह बताओ जहाँ हम इस लाश को दफना सकें,और भूलो मत तुम्हें पैसे की जरूरत भी तो है कौन देगा इतने पैसे तुम्हें" सर ने कहा
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था मरते हुए बेटे को बचाने के लिए न चाहते हुए भी इस पाप में साथ देना पड़ा।
मैंने सर से कहा "ठीक है पीछे वाले गेट से लाश को सूटकेस में भरकर बाहर निकालेंगे ,वहाँ सीसीटीवी कैमरा नही है ,और दस किलोमीटर दूर एक जंगल है वहाँ हम लाश को दफनाया जा सकता है।
हमने लाश को बड़े से बैग में भरा और बाहर निकाल ने ही वाले थे कि किसी की आवाज सुनाई दी, किसी कॉटेज में बड़ा सा साँप निकल आया था और भीड़ इक्कट्ठी हो गयी थी,बाहर जाना मुश्किल था,सब लोग जाग रहे थे।
मुझे किसी भी तरह ये काम खत्म करके हॉस्पिटल पहुँचना था , इसलिए हमनें लाश को कॉटेज में ही दफनाने का प्लान बनाया, कॉटेज की फर्श कच्ची थी और उसके ऊपर लकड़ी के टाइल्स बिछे हुए थे।
हमनें बेड को एक तरफ खिसकाया और वहाँ की टाइल्स को निकालकर गार्डनिंग वाले औज़ार से धीरे धीरे खोदना शुरू किया ,हमें काम ऐसे करना था कि आवाज बाहर न जाये।
हमने कॉटेज के खिड़की दरवाजे अच्छी तरह से बन्द कर रखे थे जिससे आवाज़ बाहर न जाये और वैसे भी कॉटेज साउंड प्रूफ बनाये गए हैं।
हमने कमर तक का गढ्ढा खोदा और मैडम की लाश को दफ़न दिया सब कुछ पहले जैसा कर दिया और उसके ऊपर वापस बेड रख दिया ।
काम होने के बाद सर ने मुझे पैसे दिए और साथ ही साथ मोबाईल से खींचा हुआ एक फोटो भी दिखाया जिसमें मैं मैडम की लाश को सूटकेस में डाल रहा हूँ,और कहा" ये बस मेरी सिक्योरिटी के लिए हैं बाकी तुम तो समझदार हो तुम किसी से कुछ नहीं कहोगे ये मैं जानता हूँ"
और कहा "अब एक काम और करना ये बेहोशी की दवा है इसे मुझे सुंघा देना जिससे मैं बेहोश हो जाऊँगा और फिर तुम दरवाजा खुला छोड़ कर चले जाना,लोगों को लगेगा मेरी बीवी का अपहरण हुआ है,बाकी मैं सब देख लूंगा"
मैंने वैसा ही किया ,पैसे लेकर होस्पिटल आया ,मेरे बेटे का ऑपेरशन हो गया,दूसरे दिन अखबार में ख़बर आयी कि "इलाहाबाद की मशहूर बिज़नेस वोमेन आरती सिंह ऊटी से लापता" और मैडम कि फोटो भी थी तब पता चला ,वो आदमी मैडम का दूसरा पति था पहले पति की मौत के बाद मैडम ने उस आदमी से दो महीने पहले ही शादी की थी।
"मैं आज तक खुद को माफ नहीं कर पाया हूँ मैडम" जोसेफ़ ने रोते हुए कहा।
"पर तुम्हारे होटल के मैनेजर ने तो कोई और ही कहानी बताई थी,किसी दूसरे कपल की जिसमें वाइफ ने हसबैंड को मार दिया था,तो फिर ये कौन सी नई कहानी है" नैना ने जॉसेफ को घूरते हुए कहा
"मैनेजर साहब सच कह रहे हैं मैडम ,क्योंकि उनको आरती मैडम के बारे में कुछ नहीं पता है,और वो कपल आरती मैडम के मर्डर के एक हफ्ते बाद आया था,और वाइफ ने हसबैंड को मार दिया था,मैं वहीं था ,वो मुझे ऐसे घूर रही थी जैसे वो मुझे मारना चाहती हो,मैं समझ गया वो आरती मैडम ही थीं,तब से हर रात मैं डर डर के सोता हूँ नींद भी नहीं आती ,मैंने नाईट शिफ्ट करना भी बंद कर दिया है,वो मुझे पल पल मार रही है, मैंने बहुत बड़ा क्राइम किया है मैडम,दो दो जिन्दगियां बर्बाद कर दीं।
जोसेफ़ रो रो कर सब बता रहा था।
अब नैना को कुछ कुछ धुँआ छंटता हुआ सा दिख रहा था।
उसने जोसेफ़ से कहा "तुमने गलत किया पर तुम्हारी मुश्किल भी समझती हूँ ,मैं तो किसी से कुछ नहीं कहूंगी पर तुम्हारा गुनाह छुप नहीं सकेगा"
इतना कहकर नैना रीना के साथ वहाँ से चली गयी।
"रीना तुम लखनऊ रोहित को कॉल करो और पूँछो वहाँ क्या हो रहा है"नैना ने कहा
"ओके दीदी" रीना ने रोहित को कॉल लगते हुए कहा
"हैलो जीजू कैसे हो आप और दीदी कैसी हैं" रीना ने रोहित से पूँछा
"अरे यार क्या बताऊँ जब से तुम्हारी दीदी ऊटी से आई है न जाने क्या हो गया है न खाती है न पीती है और अब एक नई रट लगा रखी है की "इलाहाबाद जाना है घूमने" तो बस इलाहाबाद जा रहे हैं कल ,और बताओ तुम किसी हो बैंगलोर में" रोहित ने पूछा
"मैं ठीक हूँ जीजू, ओके बाद में बात करती हूँ",बाई" और रीना ने फोन काट दिया।
नैना अब सब समझ चुकी थी,
उसने रीना से कहा "इलाहाबाद जाना होगा टिकिट बुक कर लो"
आखिर क्या होने वाला है इलाहाबाद में क्या रोहित असली नैना को पहचान पायेगा ,पढ़िए अगले अंक में।
क्रमश:
***
प्राची मिश्रा
इस भाग को पढ़ने के बाद कहानी पर छाए रहस्य का धुआं धीरे धीरे छटने की ओर अग्रसर है
ReplyDelete