एक हफ़्ते बाद ....
आज उस कॉटेज में जहां नैना और रोहित रुके थे एक नया कपल रहने रहने आया है और वही सब जो नैना के साथ हो रहा था वो उनके साथ भी हो रहा है, लेकिन इस बार उस नए जोड़े ने ज़िद करके उस होटल के स्टाफ़ को बुलाकर कॉटेज खुलवाया।
कॉटेज के अंदर बहुत गन्दगी थी सारा सामान अस्त व्यस्त था ऐसा लग रहा था सालों से वहाँ साफ़ सफाई नहीं हुई थी और अंदर से बहुत बदबू भी आ रही थी,वो सभी एक एक कर अंदर गए ,सभी बहुत डरे भी हुए थे ,पर इस राज से पर्दा तो उठाना ही था ।
तभी वो औरत जो उस कॉटेज में रहने आई थी ज़ोर से चीखी
"ओ माय गॉड"!!!
सभी दौड़ते हुए बेडरुम में गये तो देखा फर्श पर एक औरत की लाश पड़ी है ,वो बहुत ही भयानक लग रही है उसका पूरा शरीर नीला पड़ चुका है और शरीर की एक एक हड्डी दिख रही है।
वो नैना थी!!
सब उसको ध्यान से देखने लगे कि तभी उसके हाथों की उंगलियाँ थोड़ा हिलीं "ये तो जिंदा है" उस आदमी ने कहा
और आनन फानन में नैना को हॉस्पिटल में एडमिट किया गया ,नैना की हालत बहुत नाज़ुक थी ।
और डॉक्टरों का कहना था कि "नैना के शरीर में खून न के बराबर है और उसके बचने की उम्मीद भी बहुत कम है"
अब नैना एक कंकाल की तरह दिख रही थी और बेहोशी की हालत में भी " रोहित" का नाम पुकार रही थी और रह रहकर चीख़ भी रही थी।
इधर होटेल वाले भी बहुत हैरान थे क्यूँकि उन्होने नैना को रोहित के साथ जाते हुए देखा था ,तो फिर ये कौन थी और आख़िर उस बंद कॉटेज में पहुँची कैसे ?
ऐसे बहुत से सवाल थे जो सबके दिमाग़ घूम रहे थे पर सभी नैना के होश में आने का इंतज़ार कर रहे थे ,क्यूँकि जब तक नैना स्वयं उसके साथ हुयी घटना की जानकारी नहीं दे देती किसी से कुछ भी कहना बेकार था ,होटेल वाले अपने होटेल का नाम ख़राब नहीं होने देना चाहते थे ,इसीलिए उन्होंने रोहित को भी ख़बर नहीं दी,अब बस इंतज़ार था नैना के होश में आने का ।
चार दिन बाद नैना होश आ गया ,और पुलिस इन्स्पेक्टर उससे पूँछतांछ करने के लिए आए ,क्यूँकि हॉस्पिटल वालों ने पुलिस को इस बारे में जानकारी पहले ही दे दी थी ,इसीलिए नैना के होश में आते ही इन्स्पेक्टर को ख़बर दे दी गयी और वो आ गए ।
"हेलो मैडम !! मैं इसंपेक्टर के. मूर्ति हूँ ,अब आपकी तबियत अब कैसी है " इंस्पेक्टर ने नैना से पूछा।
नैना ने सिर हिलाकर ठीक होने का इशारा किया।
इंस्पेक्टर पूँछताछ शुरू करते इससे पहले ही एक नर्स वहाँ आयी और उसने हिदायत देते हुए कहा
"सर !! मैडम अभी भी बहुत ठीक नहीं हैं आप इनसे ज्यादा सवाल जवाब ना करें तो बेहतर होगा वरना इनकी तबियत बिगड़ सकती है"
"डोंट वरी सिस्टर आई विल आस्क ओनली इम्पोर्टेन्ट क्वेश्चनस "
इंस्पेक्टर ने नर्स को आश्वस्त करते हुये कहा।
"मैडम क्या आप बता सकती हैं आपका नाम क्या है"
इंस्पेक्टर ने पूछा।
"न न नैना" नैना ने कांपते हुए स्वर में कहा।
इंस्पेक्टर ने दूसरा सवाल पूछा "आपके साथ हुआ क्या?"
"मुझे कुछ याद नहीं है" नैना ने जवाब दिया ।
" आपका कोई रिश्तेदार जिसे हम इंफॉर्म कर सकें आपकी हालत के बारे में" इंस्पेक्टर ने फिर पूछा।
"जी मेरी बहन है रीना ,वो बैंगलोर में रहती है आप उसको कॉल कर सकते हैं क्या? मैं बात करना चाहती हूँ" नैना ने कहा।
"बिल्कुल मैं अभी कॉल करता हूँ,क्या आप मोबाइल नंबर बताएंगी?"
इंस्पेक्टर ने नैना से पूछा।
नैना ने नम्बर बताया और इन्स्पेक्टर ने अपने मोबाइल से कॉल किया
"हेलो कौन" सामने से रीना ने कहा
"मैं इंस्पेक्टर के.मूर्ति बोल रहा हूँ ऊटी से,आपकी बहन नैना आपसे बात करना चाहती हैं ,प्लीज बात कीजिये"
इतना कहते हुए इंस्पेक्टर ने मोबाइल नैना की तरफ बढ़ा दिया।
इधर रीना कुछ समझ नहीं पा रही थी क्योंकि आज सुबह ही रोहित ने उसे फोन कर बताया था कि नैना और उसका हनीमून अच्छा रहा और वो लोग अब लखनऊ में ही हैं,तो फिर ये कौन थी जो ऊटी में है?
"हैलो रीना मेरी बात ध्यान से सुनो ,मैं दीदी बोल रही हूँ ,तुम जल्दी से ऊटी आ जाओ और इस बारे में तुम किसी से बात मत करना और हां मैंने तुम्हे जो शॉल दिया था वो गुलाबी रंग वाला उसे जरूर लेकर आना क्योंकि ठंड बहुत है यहाँ"
नैना ने रीना को समझाते हुए कहा।
गुलाबी शॉल की बात रीना और नैना के अलावा और कोई नहीं जानता था ,ये बात सुनकर रीना समझ गयी कि उसे अब क्या करना है।
अगली सुबह रीना ऊटी पहुँच गयी और नैना से मिलने हॉस्पिटल गयी,नैना की दुर्दशा देखकर आंसुओं को बहने से रोक न सकी और नैना भी रीना को देखकर फूट फूटकर रोने लगी,तब रीना ने नैना से रट हुए पूछा "दीदी आपकी ये हालत कैसे हुई और ये सब हो क्या रहा है ,मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूँ, आपने मुझसे कहा किसी को कुछ मत बताना और कल जीजाजी का फ़ोन आया था ,उन्होंने कहा आप उनके साथ हैं पर आप तो इस हालत में यहाँ हैं,तो क्या जीजाजी ने आपके साथ कुछ....या फिर वो झूठ बोल रहे हैं ,मुझे बताओ दीदी"
अब रीना आतुर हो उठी थी।
"तेरे जीजाजी ने कुछ नहीं किया और वो कोई झूठ नहीं बोल रहे रीना ,ये एक रहस्य है जिसे मैं भी जानना चाहती हूँ" नैना ने कहा
और उस रात हुई सारी घटना रीना को बता दी।
रीना की आँखे फटी रह गईं ,उसके रोंगटे खड़े हो गए ,उसने हकलाते हुए नैना से कहा" फिर तुमने जीजाजी को कुछ क्यों नही बताया"
"रीना जैसा कि मैंने बताया एक नैना उनके साथ है, अगर वो मेरा रूप ले सकती है और मुझे वहाँ कैद कर सकती है तो वो कुछ भी कर सकती है,मैं रोहित की जान खतरे में नहीं डाल सकती थी,और जब तक ये राज मैं जान नहीं लेती, हर कदम सोच समझ कर उठाना होगा रीना" नैना ने ठंडी सांस भरते हुए कहा।
"तो अब क्या दीदी,कैसे इस रहस्य को जान पायेंगे हम ,कौन बताएगा हमें" रीना ने पूछा।
"होटल का वो पुराना वर्कर जो मुझे उस दिन मिला था जिस दिन ये हादसा हुआ था,उसके चेहरे के भाव और उसकी बातें बिल्कुल मेल नहीं खा रहे थे,ऐसा लगता है वो कुछ तो ऐसा जनता है ,जो उस कॉटेज से जुड़ा है" नैना ने कहा।
"हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद हम उस वर्कर से पता करने की कोशिश करेंगे" रीना ने कहा।
और दोनों बहनों ने एक दूसरे के हाँथो को कस कर पकड़ लिया ,और एक दूसरे की आंखों में देखा,जैसे कह रही हों"तैयार हैं हम"..
तीन दिन बाद नैना को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई, वो बहुत ठीक तो नहीं थी पर बेहतर थी,रीना ने एक होटल में पहले ही कमरा बुक कर रखा था ,रीना नैना को लेकर होटेल पहुँची।
पति से बिछड़ी हुई और उस दर्दनाक हादसे से गुज़री हुई नैना बहुत दुखी थी और अपनी हाल ही में हुई शादी की यादों में खोई हुई थी।
"दीदी क्या हुआ" रीना ने पूछा,
तब नैना की तन्द्रा टूटी,"कुछ नहीं बस यूं ही" नैना ने कहा
नैना बहुत ही हिम्मत वाली थी,वो रीना को अपनी परेशानी बताकर परेशान नहीं करना चाहती थी।
तभी रीना ने वो गुलाबी शॉल निकालकर नैना को दिया,सफेद कढ़ाई वाला वो बहुत ही सुंदर शॉल था, नैना ने उस शॉल की ओर मुस्कुरा कर देखा और फिर सीने से लगा लिया जैसे उसे कोई अपना मिल गया हो,
"दीदी आपको ये शॉल अब भी बहुत प्यारा है ना?,मुझे याद है मैंने कितना लड़ लड़कर ये शॉल आपसे लिया था" रीना ने हँसते हुए कहा।
"हाँ सब याद है" नैना ने शॉल को समेटते हुए कहा,,,और यादों में खो गयी।
ये बात दो साल पहले की है,तब नैना अपने माँ ,पापा और अपनी छोटी बहन रीना के साथ कानपुर में रहती थी ,नैना के पापा सरकारी बैंक में ऑफिसर थे, एक दिन नैना और रीना कुछ खरीददारी करने बाजार गए थे,वहाँ नैना को एक शॉल पसन्द आ गया और उसने दुकानदार से कहा "भैया प्लीज इसे पैक कर दो ,मैं ले रही हूँ इसे"
"माफ कीजिये मैडम ये तो उन सर ने पहले ही पसंद करके रखा है,आप कुछ और ले लीजिए" दुकानदार से एक जेंटलमैन की तरफ इशारा करते हुए कहा।
नैना ने पलट कर देखा तो एक खूबसूरत नौजवान उसकी तरफ बड़ी उत्सुकता से देख रहा था, नैना झेंप गयी और दुकानदार की ओर देखकर बोली "नहीं भैया मुझे और कुछ नहीं चाहिए"
और उठ कर वहाँ से बाहर निकल गयी,वो अब भी उस आदमी के बारे में सोच रही थी जो दुकान में उसे मिला था, और तभी पीछे से रीना ने आवाज लगाई, "दीदी आप मुझे बताये बिना ही दुकान से बाहर आ गईं ,ऐसा क्या हो गया" नैना ने खीझते हुए कहा
"अरे वो मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था तो बस बाहर आ गई" नैना ने कहा।
"अच्छा चलो घर चलें" रीना ने कहा
तभी पीछे से किसी ने आवाज दी "एक्सक्यूज़ मी प्लीज"
रीना और नैना ने पीछे मुड़ कर देखा तो वही नौजवान उनके पीछे हाँथ में एक पैकेट लेकर खड़ा था।
जब नैना ने उसे देखा तो नजरें नीचे ऊपर करने लगी और एक अजीब सी घबराहट महसूस करने लगी।
"यस" रीना ने कहा
"आप कौन,क्या आप हमें जानते हैं ?"रीना ने सवालों की झड़ी लगा दी
"जी नहीं, मैं आपको नहीं जानता ,मेरा नाम रोहित है,और मैं भी यहाँ शॉपिंग करने ही आया हूँ,दरअसल मुझे एक शॉल बहुत पसंद आया था जो कि मैं अपनी बहन के लिए ले रहा था पर इत्तेफ़ाक़ से वही शॉल इनको भी पसन्द आ गया " रोहित ने नैना की तरफ इशारा करते हुए कहा।
"तो प्रॉब्लम क्या है " रीना ने फिर पूछा
"लेकिन अभी लखनऊ से मेरी बहन का अभी अभी कॉल आया था उसने कहा अब उसका मूड चेंज हो गया है उसे गुलाबी नहीं ग्रे कलर की शाल चाहिए" रोहित ने कहा,,
"तो इसमें हम आपकी क्या मदद कर सकते हैं सर" रीना ने व्यंग्यात्मक तरीके से कहा।
"मैंने सोचा ये शॉल आपको दे दूं ,अब जब मैं इसे नहीं ले रहा हूँ तो"
रोहित ने मुस्कुराते हुए कहा
तो नैना ने धीमी आवाज में कहा "इसकी कोई जरूरत नहीं ,मैं कोई दूसरा शॉल ले लेती हूँ और वैसे भी मैं आपसे ये कैसे ले सकती हूँ"
"मैं ये शॉल आपको फ्री में नहीं दे रहा हूँ,आप मुझे इसके पैसे दे दीजिए,और इसे ले लीजिए" रोहित ने कहा
"ठीक है,कितने पैसे देने हैं" रीना ने पूछा
"जी आठ सौ पचास रुपये" रोहित ने कहा
नैना ने पर्स से पैसे निकाल कर रोहित को दिए और "थैंक यू" कहा
इस छोटी सी मुलाकात में ही ,दोनों की आँखे एक दूसरे से न जाने कितनी बातें कर लीं थी।
रीना ये सब देख रही थी,रोहित से शॉल लेकर नैना शर्माते हुए घर की तरफ चल दी।
"अच्छा तो इतना सब कुछ हो गया ,इसीलिए तुम दुलन से भाग आयी थी,है ना दीदी" रीना ने नैना छेड़ते हुए कहा।
"क्या तू भी कुछ भी बोलती रहती है पागल,ऐसा कुछ भी नहीं है,मैं तो उसे जानती भी नहीं", नैना ने शर्माते हुए कहा।
"तो जान जाओगी, शॉल के पैकेट में एक पर्ची जो डाल के दी है उस हैंडसम ने,देखा था मैंने" रीना ने फिर मज़ाक करते हुए कहा
"क्या सच में, मैंने तो देखा भी नहीं,ओफ्फो देखूँ तो ज़रा क्या लिखा है"
नैना ने बेचैनी में कहा और पैकेट टटोलने लगी।
"तो आग दोनों तरफ बराबर लगी है" रीना ने हँसते हुए कहा,तो नैना झेंप गयी उसे एहसास हुआ कि वो कुछ ज्यादा ही उत्साहित हो गयी थी।
उस शॉल के पैकेट में एक विज़िटिंग कार्ड था जिस पर रोहित के ऑफिस का एड्रेस और उसका फोन नंबर था,रीना ने वो कार्ड नैना के हाँथ से छीन लिया और उसे चिढ़ाने लगी।
"रीना की बच्ची कार्ड वापस कर " नैना चीखी
"मैं नहीं दूंगी, अगर चाहिए तो ये शॉल मेरे हवाले करने होगा, वरना कार्ड मम्मी को दे दूँगी" रीना ने नैना को फिर चिढ़ाया।
"ठीक है ले लो" नैना ने मुँह बनाते हुए कहा, और शॉल रीना को दे दिया।
कार्ड पाकर नैना बहुत खुश हुई और यहीं से रोहित और नैना की लव स्टोरी की शुरुआत हुई जिसका अंजाम दो साल बाद उनकी धूम धाम से शादी के साथ हुआ"
ये सब कुछ याद करके नैना की आँखे भर आईं ,और वो खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगी,अब उसे उस रहस्य से पर्दा उठाना था,जिसने उसकी ये हालत कर दी थी।
उसने रीना से कहा"आज हम होटल जाएंगे,उस कॉटेज का राज जानने आखिर हुआ क्या था वहाँ और कौन थी वो परछाई जो हर रात मुझे उसे कॉटेज से बुलाती थी",,,,,
क्रमशः
प्राची मिश्रा
रहस्य की खोज जारी है , और अब मैं अगला भाग पढ़ने जा रहा हूं , कहानी में छिपे राज ने बांध रखा है ।
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