Thursday, June 25, 2020

कॉटेज भाग - १ - काली परछाई

                                                           ◆◆कॉटेज भाग - १◆◆






कॉटेज भाग - १ - काली परछाई


रोहित और नैना की नई नई शादी हुई थी, रोहित की बड़ी बहन ने शादी के तोहफ़े के तौर पर दोनों को ऊटी का हनीमून पैकेज दिया था ,शादी के दो दिन बाद ही लखनऊ से ऊटी की टिकट थी, रोहित बहुत ही उत्साहित था और नैना के साथ पैकिंग में उसकी मदद कर रहा था, नैना का मन न जाने क्यों बहुत बेचैन सा हो रहा था ,जैसे कोई उसे ऊटी जाने से रोक रहा हो पर वो रोहित से बहुत प्यार करती थी इसलिए रोहित को अपने मन की उद्विग्नता बता न सकी।

दो दिन बाद दोनों सुबह सुबह ऊटी के लिए निकले और रात के नौ बजे ऊटी पहुंच गए, पर उनका होटल काफी दूर था इसलिए पहुँचते पहुँचते 10.30 बज चुके थे ,होटल काफी आलीशान था और उनके लिए अलग से कॉटेज बुक किया गया था, सफर से दोनों काफी थके हुए थे इसलिए रूम की चाभी काउंटर से लेकर रूम की ओर बढ़ने लगे, तभी नैना को ऐसा लगा कोई ठंडी सी चीज उसे छू कर निकल गयी वो अंदर तक काँप गई पर उसने सोचा ऊटी में ठंड रहती है शायद उसी का असर होगा, उसने इस बारे में रोहित से कुछ भी नहीं कहा ,पर फिर भी उसका मन बड़ा बेचैन था वो कुछ सोच में पड़ गयी और चलती गयी कि तभी
"अरे नैना डार्लिंग क्या कर रही हो हमारा कॉटेज इस तरफ है वहाँ कहाँ जा रही हो"
तभी नैना की तन्द्रा टूटी ,उसने देखा वो दूसरे कॉटेज की तरफ़ मुड़ गयी थी जो कि बंद पड़ा था,रो हित की पुकार सुनकर वो अपने कॉटेज के पास गई पर न जानें क्यों उस बन्द कॉटेज में क्या था नैना बस उसे घूरे जा रही थी, रोहित ने ज़ोर कहा "अब अंदर भी आ जाओ या यूं ही बाहर खड़े रहने का इरादा है" नैना ने रोहित की तरफ देखा और शर्माते हुए अंदर आ गई, नई शादी के बाद युगल दम्पत्ति में जो प्यार और परवाह होता है वो रोहित और नैना में भी था।

डिनर करने के बाद दोनों सोने चले गए ,उनके बेडरूम की खिड़की से वो बंद पड़ा कॉटेज साफ दिखता था, रात के दो बज रहे थे कि अचानक किसी ने खिड़की पर तीन बार ज़ोर से थपथपाया नैना घबरा कर उठी और रोहित की तरफ देखा वो गहरी नींद में था, तो उसने खिड़की के पर्दे को धीरे से हटा कर बाहर देखने की कोशिश की बहुत कोहरा और अंधेरा था कोई नही दिखा की तभी उस बन्द पड़े कॉटेज की तरफ नज़र गयी, कोई परछाई काँच के दरवाज़े के पास दिखी उसे लगा उसका भ्रम है पर वो परछाई धीरे धीरे हाँथ हिलाकर उसे पास आने का इशारा कर रही है,नैना ने सोचा शायद किसी को मदद की जरूरत हो तो उसने रोहित को उठाया "रोहित उठो न शायद किसी को हमारी जरूरत है उस कॉटेज में" थकान से चूर बेसुध सो रहे रोहित ने अर्धसुप्तावस्था में कहा"ऐसा नहीं है वो कॉटेज बंद है वहां कोई नहीं है तुम्हे भ्रम हुआ है थकान की वजह ,से सुबह बात करते हैं" पर नैना का मन नहीं माना उसने फिर से कॉटेज की तरफ देखा पर अब वहाँ कोई नहीं था ,अब नैना को भी लगा शायद वो बहुत थक गई है उसे भ्रम हुआ है।

दूसरे दिन दोनों घूमनें के लिए निकले पर नैना रात की घटना भूल नहीं पाई थी ,अपने कॉटेज से निकलते हुए वो उस बन्द पड़े कॉटेज को निहारते हुए बाहर की तरफ आ रही थी कि तभी होटल का एक कर्मचारी उस ओर आता दिखा नैना ने उसे रोककर पूछा"क्या इस कॉटेज में कोई है" कर्मचारी हड़बड़ा गया और थूंक गुटकते हुए बोला "न न नहीं मैडम वहाँ तो कोई भी नहीं है देखिये ताला लगा हुआ है"
नैना ने मुस्कुराते हुए बोला "ओके थैंक यू".

दूसरी रात भी दोनों डिनर करके सोने चले गए ,रात के दो बजे के करीब फिर से वही आवाज़ नैना ने सुनी उसकी नींद टूटी और उसने पर्दे को हटाकर देखा फिर वही सन्नाटा और अंधेरा उसकी नज़र जब कॉटेज की तरफ़ गई तो फिर वही परछाई उसे मदद के लिए बुला रही थी,उसने सोचा रोहित को उठा दे पर फिर उसे लगा ,रोहित गहरी नींद में है उसे उठाना ठीक नहीं, उसने अकेले ही उस परछाई का राज जानने का फ़ैसला किया ।
नैना कॉटेज से बाहर आई ठंड बहुत थी और चारों ओर सन्नाटा और अंधेरा था ,उसने हिम्मत जुटाई और उस कॉटेज की तरफ बढ़ने लगी सूखे पत्तों पर चलने से जो आवाज़ आ रही थी वो रोंगटे खड़े करने वाली थी,उसे लग रहा था कोई उसके साथ साथ चल रहा है पर उसने फैसला किया वो पीछे मुड़कर नहीं देखेगी और चलते हुए उस बन्द पड़े कॉटेज के पास आई ।

"एक्सक्यूज़ मी कोई है मैं नैना सामने वाले कॉटेज में रुकी हूँ क्या आप ठीक हैं" नैना ने काँपती सी आवाज़ में कहा,
तभी धीरे से दरवाज़ा खुला ,नैना काँप गयी ,उसने झाँककर देखा अंदर काफी अंधेरा था वो दृश्य बहुत ही भयानक था ,कि तभी अंदर से रोने की आवाज़ आने लगी जैसे कोई दर्द से तड़प रहा हो,नैना और डर गई ,फिर सोचा अगर सच में किसी को मेरी जरूरत हो तो अब यहाँ तक आ ही गयी हूँ तो अंदर जाकर देख ही लेती हूँ ,सांस अंदर खींच कर भगवान का नाम लिया और अंदर चली गई,जैसे ही नैना अंदर दाख़िल हुई दरवाज़ा तड़ से बंद हो गया ,नैना चीख़ने लगी "कोई खोलो कोई खोलो मैं अंदर हूँ" वो चीख़ रही थी रो रही थी पर उसे सुनने वाला अब कोई नहीं था, फिर उसने सोचा रोहित जब उसे अपने बिस्तर पर नहीं पाएंगे तो वो उसे खोजने जरूर आएंगे ,नैना थक चुकी थी और उसकी आंख लग गयी, सुबह हो गयी कोई उसे खोजने नहीं आया, वो ज़ोर ज़ोर से दरवाज़ा पीट रही थी पर कोई उसे सुन नही पा रहा था।
शाम होने को आई नैना भूख प्यास से व्याकुल थी और उस कॉटेज से निकलने के सारे जतन कर चुकी थी कि तभी उसे रोहित के हँसने की आवाज़ आयी वो दौड़ कर दरवाज़े के पास आई, पर ये क्या रोहित के साथ नैना भी है तो फिर कॉटेज में कौन बन्द है, नैना की आंखें फटी की फटी रह गईं, वो कुछ समझ नहीं पा रही थी कि हो क्या रहा है,रात  आई नैना उसी बंद कॉटेज से अपने बेडरूम की खिड़की को निहार रही थी जहाँ वो अपने पति के साथ आई थी ।

दो दिन बाद नैना ने देखा रोहित घर जा रहा है, नैना की हालत बद्दतर हो चुकी थी पर अब भी वो उसे पुकार रही है पर रोहित उसे सुन नहीं पा रहा ,पर वो दूसरी नैना जो रोहित के साथ है वो सब देख और सुन पा रही है,उसने नैना की ओर देखा और मुस्कुराते हुए रोहित का हाँथ थाम कर उसके साथ चली गयी, नैना पथराई आंखों से सब देख रही थी,,,,,,,
एक हफ्ते बाद फिर से कोई नव विवादित जोड़ा उसी कॉटेज में रहने आया जहाँ नैना और रोहित रुके थे और फिर से कोई परछाई मदद के लिए बुला रही है।
क्रमशः
***
प्राची मिश्रा

2 comments:

  1. #पीयूष piyush.okos@gmail.comAugust 12, 2020 at 10:51 PM

    रोमांच से भरपूर , मुझे लगता है कि सभी भाग आज ही पढ़ लूंगा

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