◆◆अच्छी माँ कैसी होती है◆◆
ये बड़ी कठिन परिभाषा है
बड़ा प्यारा सा ये नाता है
पर मुझे समझ नहीं ये आता है
अच्छी माँ कैसी होती है।
जो बस फ़िकर में रहती है
हर वक्त किचन में रहती है
जो दिन भर किट किट करती है
जो बात बात में चिढ़ती है
हर पल जो मुझमें जीती है
हर दर्द में खुश जो रहती है
पर मुझे समझ नहीं ये आता है
अच्छी माँ कैसी होती है।
मेरे लिए जो सबसे लड़ती है
पापा से भी झगड़ती है
सबसे ऊपर मुझे समझती है
बेवजह घमंड भी करती है
जो आँसुओं की टंकी है
मेरे मित्रों की आँटी हैं
जो हर पल प्यार लुटाती है
बुख़ार में रोटी बनाती है
पर मुझे समझ नहीं ये आता है
अच्छी माँ कैसी होती है।
जो नाज़ुक है फूलों की डाली सी
वो पत्थर भी बन जाती है
कभी बरसती है ठंडी बदली सी
वो काली भी बन जाती है
वो बच्चे के मन की ज्ञाता है
बहुत बड़ी वो गाथा है
जो सोते हुए भी जगती है
वो जननी है वो जननी है।
★★★
प्राची मिश्रा
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