Thursday, June 25, 2020

कॉटेज भाग - 5 ' अभिमन्यु '

                                                          कॉटेज भाग - 5 ' अभिमन्यु '










रोहित, नैना और रीना अब और भी डरे हुए थे, कल रात के हादसे के बाद रोहित कुछ भी बोलने की हालत में नहीं था, आज उसे नैना के दर्द का एहसास हो रहा था जो उसने उस कॉटेज में झेला था, पर चुप बैठने से ये समस्या कहाँ टलने वाली थी ,उन सबको इससे निकलने का हल तो ढूंढना ही था।

रीना ने तय किया कि वो अपने तरीके से तहक़ीक़ात शुरू करेगी, उसने गूगल करके आरती सिंह के ऑफिस और घर का पता निकाला और दूसरे दिन ही उसके ऑफिस पहुँच गयी।
रीना ने अपना बॉयोडाटा लिया और इंटरव्यू देने के बहाने ऑफिस में गयी पर रिसेप्शनिस्ट से पता चला कि उनके ऑफिस में कोई हायरिंग नहीं हो रही है,पर रीना ज़िद पर अड़ गयी कि उसे एक बार सर से मिलना है उसके बाद भले ही वो चली जाएगी।
क्योंकि रीना एक बार आरती के पति से मिलना चाहती थी और समझना चाहती थी कि आखिर वो कैसा आदमी है ? और हो सकता है आरती के बारे में कुछ पता चल जाए।

बड़ी मिन्नतों के बाद रिसेप्शनिस्ट ने रीना को आरती के पति से मिलने की इजाज़त दे दी।
रीना गलियारे से चलती हुई आरती के पति के केबिन तक पहुँची पर उसे बड़ा अजीब लग रहा था,ऐसा लग रहा था कोई उसका पीछा कर रहा है ,कोई उसे हर पल घूर रहा है कि अचानक गलियारे में टँगी एक पेंटिंग ज़ोर से नीचे गिरी और उसके काँच हर ओर बिखर गए, जिसमें से एक काँच का टुकड़ा रीना के पैर पर भी चुभ गया,काँच टूटने की आवाज़ सुनकर आरती का पति अपने केबिन से बाहर आया, और रीना को संभाला, "ओ माय गॉड ,आर यू ओके" 
"या या आई एम फाइन सर" रीना ने हड़बड़ाते हुए कहा और अपने पैर के घाव को निहारने लगी।
" आई थिंक तुम्हें फर्स्टएड की ज़रूरत है, तुम मेरे केबिन में चलो , आई एम अभिमन्यु श्रीवास्तव" आरती के पति ने रीना की ओर देखते हुए कहा, और रीना को अपनी केबिन में ले गया, रीना काफी डरी हुई थी पर अभिमन्यु के सामने नॉर्मल होने का नाटक कर रही थी, अभिमन्यु ने फर्स्टएड किट निकल और रीना के घाव पर पट्टी करने लगा, रीना चारों तरफ उत्सुकता से देख रही थी , अभिमन्यु केबिन काफी बड़ा और आलीशान था , तभी लाइट अचानक जलने और बुझने लगीं ,रीना और घबरा गई, 
"ओफ्फो पता नहीं लाइट में क्या प्रॉब्लम आ गयी ,अभिमन्यु ने कहा "
और फोन करके रिसेप्सनिस्ट को लाइट की प्रॉब्लम को ठीक करवाने को कहा।
"ये लीजिये हो गया,क्या अब आप बेहतर महसूस कर रहीं हैं" अभिमन्यु ने रीना के कंधे पर है हाँथ रखते हुए कहा और धीरे धीरे कंधे को सहलाने लगा।
रीना को करेंट जैसा लगा, उसने अभिमन्यु का हाँथ हटाते हुए कहा
" यस आई एम ओके नाउ"
रीना अभिमन्यु के कमीनेपन को भाँप चुकी थी, abhiअब उसे अभिमन्यु से बचके काम को अंजाम देना था।
"तो बताइए क्या बात करनी थी आपको मुझसे" अभिमन्यु के आंखें मटकाते हुए कहा
"सर मुझे एक जॉब की तलाश है पर आपकी रिसेप्सनिस्ट ने बताया कि  कोई वेकैंसी नहीं है, एक्चुअली आरती मैम से एक बार मेरी मुलाकात  हुई थी और उन्होंने कहा था कि, मैं जब भी प्रयागराज आऊँ तो एक बार उनसे जरूर मिलूँ" रीना ने अभिमन्यु से कहा
"अच्छा कब और कहाँ मुलाकात हुई थी आपकी आरती से" अभिमन्यु ने रीना से पूछा उसके चेहरे पर अचानक हवाइयाँ उड़ने लगीं
" सर मैं उनसे दो साल पहले ऊटी में मिली थी,एक्चुअली मैं तब अपने दोस्तों के साथ छुट्टियाँ मनाने ऊटी गयी थी और उसे दौरान आरती मैडम से मुलाकात हुई थी,तब उन्होंने बताया था कि प्रयाग में उनका बिज़नेस है" रीना ने बताया
"और क्या कहा था आरती ने" अभिमन्यू ने माथे का पसीना पोंछते हुए कहा
"यही की अगर कभी मैं प्रयाग आऊँ तो उनसे जरूर मिलूँ ,और कुछ दिन बाद उनके लापता होने की न्यूज़ अखबार में पढ़ी थी"
रीना ने कहा
"तो तुम यहाँ कैसे " अभिमन्यु ने रीना से पूछा
"दरअसल मैं जॉब की तलाश में लखनऊ आयी थी वहाँ मेरा घर है ,फिर मुझे आरती मैडम का ख़्याल आया तो सोचा पता कर लेती हूँ ,शायद कोई जॉब मिल जाये " रीना ने कहा 
"ओके मैं समझ गया , अब आरती तो यहाँ नहीं है,पर मैं उसकी बात जरूर रखूँगा,मैं तुम्हें कल तक कॉल करके बता दूँगा,अगर कोई वैकेंसी है तो" अभिमन्यु ने कहा
" थैंक्यू सो मच सर,और मुझे आरती मैडम के लिए बहुत अफ़सोस है,सर आप भी तो मैडम को बहुत मिस करते होंगे"  रीना अब अभिमन्यू का मन पढ़ने का कोशिश कर रही थी
" हाँ बहुत याद आती है आरती,मैं आज भी उसका इंतज़ार कर रहा हूँ शायद वो वापस आ जाये ,मैंने बहुत ढूंढा उसे पर न जाने वो कहाँ चली गयी " अभिमन्यु ने अफसोस दिखाते हुए कहा
" सुनकर दुख हुआ सर,मेरी प्रार्थना है कि आरती मैडम वापस आ जाएं" रीना ने कहा
"ओके सर अब मैं चलती हूँ,आपके कॉल का इंतजार रहेगा" कहते हुए रीना उठी और चलने को हुई
"ओके ,मैं तुम्हें बाहर तक छोड़ देता हूँ" अभिमन्यु ने रीना की कमर पर हाँथ रखते हुए कहा
रीना थोड़ा असहज सी हो गयी और पीछे हटते हुए बोली," इसकी कोई आवश्यकता नहीं सर मैं चली जाऊँगी ,आप परेशान ना हों"
"इट्स ओके रीना ,कोई परेशानी नहीं " अभिमन्यु अपनी लार टपकाते हुए कहा ,की अचानक लाइट जलने बुझने लगी और एक लैंप ज़ोरदार आवाज के साथ फुट गया
अभिमन्यू और रीना चौंक गए, "ओफ्फो ये लाइट भी न, पता नहीं क्या प्रॉब्लम है" अभिमन्यु ने कहा
"सर मैं चलती हूँ" रीना ने फिर कहा
"ओके रीना , टेक केअर" अभिमन्यु ने कहा
और रीना वहाँ से निकल गयी, वो पसीने से तरबतर हो रही थी और बहुत घबराई हुई भी थी,किसी तरह वो नैना के पास पहुँची।

उसने नैना और रोहित को अभिमन्यु के कमीनेपन और ऑफिस में घटी घटनाओं के बारे में बताया, नैना ने रीना को शांत किया और सोचने लगी आगे कौन सा कदम उठाना है।

नैना मन में एक प्लान बना चुकी थी,उसने रोहित से कहा  "तैयार हो जाओ हमें मदर टेरेसा स्कूल जाना है एक और राज से पर्दा उठाना है"
"पर नैना तुम वहाँ क्या पता करोगी " रोहित ने कहा
" वही जो आरती की आत्मा वहाँ पता करने गयी थी" नैना ने कहा 

नैना और रोहित स्कूल पहुँचे, और नैना ने स्कूल के चपरासी को दो हज़ार का नोट देते हुए कहा  "हमें कुछ जानकारी चाहिए उसके बदले दो हज़ार और मिलेंगे, लेकिन और किसी को इसके बारे में पता नहीं चलना चाहिये,अब आप अपना कसम जानते हैं"
" मैडम क्या जानकारी चाहिए आपको" चपरासी ने कहा 
" आरती सिंह वो बिज़नेस वोमेन क्या आप उनको जानते हैं और उनका इस स्कूल से क्या सम्बन्ध है क्या आप बता सकते हैं" नैना ने कहा
"आरती मैडम को मैं अच्छी तरह जानता हूँ मैडम,दरअसल मेरी घरवाली मैडम के घर में काम करती है और मैडम के बच्चे इशिता और रोहन भी तो इसी स्कूल में पढ़ते हैं" चपरासी ने बताया
" क्या बच्चे स्कूल आते हैं अभी" नैना ने पूँछा
" हाँ मैडम आते तो हैं ,पर आरती मैडम के गायब होने के बाद दोनों बच्चे बहुत उदास रहते हैं और घर पर वो जल्लाद सौतेला बाप और उसके रखैल दोनों बच्चों को परेशान करते हैं" चपरासी ने कहा
"क्या मैं बच्चों को दूर से एक बार देख सकती हूँ" नैना ने कहा
" जी देख तो सकती हैं पर अभी छुट्टी होने में टाइम है अगर आप इन्तज़ार कर सकें तो मैं आपको डोर से दिखा सकता हूँ" चपरासी ने कहा
" ठीक है मैं इंतज़ार करूंगी, आप बताईयेगा बच्चे जब बाहर आएं" नैना ने कहा
और कुछ देर बाद जब स्कूल की छुट्टी हुई तब चपरासी ने दो बच्चों की तरफ इशारा किया, आठ से दस साल के दो बच्चे बाहर आये दोनों के चेहरे मासूम और मुरझाए हुए से थे ,दोनों स्कूल से निकलकर एक कार में बैठ गए , आज नैना को आरती का मकसद कुछ कुछ समझ आ रहा था,उसका मन बहुत बेचैन हो उठा था,आज उसे आरती से हमदर्दी सी हो गयी थी ,दोनों बच्चों को देखकर नैना द्रवित हो उठी,अब चाहे जो भी हो आरती के बच्चों की मदद तो करनी ही होगी, नैना ऐसा ही कुछ मन में सोच रही थी,तभी रोहित ने कहा " नैना अब हमें चलना चाहिए"
नैना की तन्द्रा टूटी " हाँ चलो " नैना ने कहा

रोहित और नैना होटल पहुँचे और रीना को सारी बात बताई, मामला अब और भी उलझ गया था कि तभी सारी लाइटें जलने बुझने लगीं और खिड़कियाँ अपने आप खुलने बन्द होने लगीं, नैना अब जानती थी कि ये सब आरती ही कर रही है, आज वो डर नहीं रही थी क्योंकि वो जानती थी आरती ये सब क्यों कर रही है।

उसी रात जब नैना और रोहित सो रहे थे, की तभी नैना को ऐसा लग कोई उसकी चादर खींच रहा है,नैना उठकर बैठ गयी, उसे ऐसा लगा कोई रो रहा है, रात के एक बज रहे थे ,नैना उठी और रूम से बाहर आई तो देखा बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ है, धीरे धीरे बाथरूम की तरफ गई तो देखा ज़मीन पर कोई औरत नीचे सर झुकाए बैठी है और रो रही है, " क कौन हैं आप, और यहाँ क्या कर रहीं हैं" नैना ने डरते हुए कहा 
तभी उस औरत ने अपना चेहरा उठाया, और ये देखते ही नैना के होश उड़ गए ये तो खुद नैना ही थी, पर वो बहुत भयावह लग रही थी ,वो तेजी से नैना की तरफ झपटी और नैना का गला दबाने लगी , नैना उसके चंगुल से निकलने की बहुत कोशिश कर रही थी पर निकल नही पा रही थी ,वो अपने हाँथ पाँव पटक रही थी , की तभी उसे रोहित की आवाज सुनाई दी , "नैना नैना क्या हुआ उठो " और नैना की आँख खुली, "क्या हुआ था नैना तुम नींद में इतना छटपटा क्यों रही थी" रोहित ने पूँछा
"रोहित मैंने बहुत बुरा सपना देखा " और नैना रोहित के गले लग कर रो पड़ी
"शांत हो जाओ नैना सब ठीक है" रोहित नैना को दिलासा देता हुआ बोला
" न जाने कब इस मनहूसियत से पीछा छूटेगा रोहित ,मैं थक चुकी हूँ ,अब बर्दास्त नहीं होता" नैना फट पड़ी और रोहित का हाँथ पकड़ कर बोली "कुछ करो रोहित, कल हम पंडित जी से मिलने चलें क्या"
"ठीक है नैना ,अभी तुम सो जाओ " रोहित ने कहा

और दूसरे दिन
रीना को अभिमन्यु का कॉल आया " रीना क्या तुम मेरे ऑफिस में आकर मुझसे मिल सकती हो एक जॉब है तुम्हारे लिए"
अभिमन्यु ने कहा
"ओके सर , मैं आ जाऊँगी" रीना ने जवाब दिया
इधर नैना और रोहित पंडित जी से मिलने गये और सारी बात बताई, तो पंडित जी ने नैना से कहा  " नैना आरती की आत्मा तुमसे कुछ कहने की कोशिश कर रही है ,हमें एक विधि करके पता लगाना होगा,उसकी आत्मा को बुलाना होगा और पूँछना होगा"
"कब करनी है विधि " रोहित ने पूँछा
"कल रात करेंगे,मैं कुछ सामान बताता हूँ वो लाना होगा, और हां आरती की कोई एक चीज लानी होगी जो वो इस्तेमाल करती रही हो" पंडित जी ने कहा
तभी रीना ने कहा आज अभिमन्यू ने मुझे ऑफिस बुलाया है,मै कोशिश करूँगी की ऐसी कोई चीज ला पाऊँ जो आरती इस्तेमाल करती रही हो।
"रीना अपना ध्यान रखना और कोई भी दिक्कत हो तो हमें कॉल करना ,हम तुरंत पहुंच जाएंगे" रोहित ने कहा
"आप चिंता ना करें अभिमन्यु जैसे कमीनों को हैंडल करना जानती हूँ मैं,चलती हूँ उसके ऑफिस जाना है "रीना ने कहा
अब नैना कल रात का इंतज़ार कर रही थी
आखिर क्या कहना चाहती है आरती की आत्मा और कैसे लाएगी रीना आरती की कोई चीज,पढ़िए अगले अंक में।
क्रमशः
★★★
धन्यवाद
प्राची मिश्रा

कॉटेज भाग - 4 ' आईना '

                                                         कॉटेज भाग - 4  ' आईना '







नैना और रीना आज ऊटी से इलाहाबाद के लिए निकले पर उनकी फ्लाइट की टिकट बैंगलोर से थी क्योंकि रीना को अपने आफिस में कुछ काम था और उसे छुट्टी भी लेनी थी, रीना अपनी बहन नैना से बहुत प्यार करती थी और इस मुश्किल दौर में वो नैना का साथ हरगिज़ नहीं छोड़ सकती थी।

रास्ते में रीना ने नैना की ओर देखा उसका कांतिहीन चेहरा और बेजान शरीर बहुत ही निर्मम लग रहे थे, आखिर किस अपराध की सज़ा मिली थी उसको, बैंगलोर तक का सफर कार से तय करना ठीक लगा क्योंकि नैना की तबियत अभी भी ज्यादा ठीक नहीं थी, रीना रास्ते में नैना का पूरा ध्यान रख रही थी।
उसने नैना से पूछा   "दीदी क्या आपको सच में याद नहीं आपके साथ उस कॉटेज में क्या हुआ था?"
नैना ने कार से बाहर की ओर देखते हुए एक लंबी सांस भरी और कहा
"मैं अगर चाहूँ तो भी उस भयानक कॉटेज और उसमें कटे वो नर्कीय दिन कभी भी भुला नहीं पाऊंगी" और नैना के चेहरे का रंग बदल गया उसके हाँथ काँपने लगे।
"पर आपने तो सभी से कहा की, आपको कुछ याद नहीं" रीना ने पूछा
"क्या बताती उनको,वो लोग कभी भी मेरी बातों पर यकीन नहीं करते और ना ही वो लोग उस दर्द को समझ पाते जो मैंने महसूस किया है,उनके लिए तो ये सब एक भूत प्रेत की बनावटी कहानी ही होती"

नैना का दर्द छलक उठा वो अपने निरन्तर बहते आंसुओं को पोंछने लगी,रीना ने उसे गले से लगा लिया और सांत्वना देते हुए बोली  " दीदी मैं समझ सकती हूं आप क्या महसूस कर रही हैं अगर आप चाहें तो मुझे बता सकती हैं ,आपका मन हल्का हो जाएगा,ये मैं आप पर छोड़ती हूँ अगर आप नहीं बताना चाहतीं तो कोई बात नहीं"

नैना ने खुद को संभाला और अपने आंसुओं को पोंछते हुए बोली  " न जाने क्यों मेरा मन ऊटी जाने के नाम से ही बेचैन था पर रोहित की ख़ुशी को देखकर कुछ बोल न सकी ,बार बार अजीब से संकेत मिलते रहे फिर भी मैं नहीं संभली ,और उस रात न जाने क्यों ना चाहते हुए भी उस कॉटेज के पास जा पहुंची ,ऐसा लगा अगर सच में किसी को मेरी जरूरत होगी और अगर मैं उसकी मदद ना करूँ तो कल कंही ये मेरे पछतावे का कारन न बन जाये ,बस यही सोच कर रोहित को बिन बताये उस बंद पड़े कॉटेज की तरफ चल पड़ी थी मैं "

"लेकिन वहां था क्या दीदी ?"   रीना ने उद्विग्न होते हुए पूछा 

"चारों तरफ अँधेरा और मनहूसियत थी वहां ,जैसे ही कॉटेज के पास गयी किसी के रोने की आवाज आ रही थी ,बहुत डर लग रहा था और दिल जोर जोर से धड़क रहा था फिर भी सोचा की देख लेती हूँ क्या पता कोई तकलीफ में हो ,यही सोच गलत थी मेरी ,जब अंदर गयी तो देखा वहां कोई भी नहीं था बस घुप्प अंधेरा था ,यूँ लग रहा था दीवार दीवारें मुझे दोनों हांथो से पकड़ने की कोशिश कर रही हों ,जैसे छत मुझे घूर रही हो और फर्श बस मुझे अभी निगलने के लिए मुंह फाड़ने वाली हो ,मैं दरवाजे से चिपकी हुई थी और रोहित को पुकार रही थी ,पर कोई भी मुझे नहीं सुन रहा था,महसूस हो रहा था कोई है जो मेरे आस पास है और मुझे घूर रहा है,दरवाजा पीटते पीटते कब नींद आ गयी कुछ पता ही नहीं चला ,जब सुबह नींद खुली तो खुद को बहुत ही कमज़ोर महसूस कर रही थी जैसे किसी ने मेरे शरीर की सारी ताकत निचोड़ ली हो ,बाहर झांक कर देखा तो रोहित उस बहरूपनि के साथ था,कुछ समझ नहीं आया ,अपना दिमाग धुनती रही और सोचती रही ,लेकिन एक बात अच्छी थी की कॉटेज में पानी था जिसने मुझे जिन्दा रखा ,अब हर रात मैं दरवाजे से चिपक कर उसके खुलने का इन्तजार करती और सुबह खुद को और कमजोर पाती ,अगर उस कपल ने दरवाजा नहीं खुलवाया होता तो मेरा मरना तो तय था " और नैना सुबक पड़ी 

रीना ने फिर से नैना को संभाला और उसे पीने के लिए पानी दिया |

"एक और बात थी ,जो मुझे परेशान कर रही है " नैना ने पानी का घूँट लेते हुए कहा 

"और वो क्या है दीदी" रीना ने पूछा 

"अगर आरती की आत्मा रोहित के साथ चली गयी थी तो मुझे ऐसा क्यों महसूस होता था कि कोई मेरे आस पास है,कानों में किसी के फुसफुसाने की आवाजें आती रहती थीं,क्या वहाँ और भी कोई था"
नैना ने रीना को बताया

"दीदी ये बातें बहुत ही डरावनी हैं आप बहुत ही हिम्मतवाली हैं,आपकी जगह कोई और होता तो शायद पहले दिन ही मर गया होता"
रीना ने नैना का हाँथ पकड़ते हुए कहा

"शायद रोहित के प्यार ने मुझे मरने नहीं दिया" नैना ने कहा

दूसरे दिन रीना और नैना प्रयागराज पहुँच गए ,और एक होटल में कमरा बुक करके वहीं रुक गए।

"रीना रोहित को कॉल करो और पूँछो वो कहाँ है" नैना ने कहा

रीना ने झट से रोहित को कॉल किया  "हैलो जीजू आप लोग प्रयागराज पहुंच गए क्या?"

"हाँ रीना हम प्रयागराज में ही हैं,तुम्हारी दीदी भी ना पता नहीं कहाँ कहाँ घुमाती रहती है,हम मदर टेरेसा स्कूल घूमने आए हैं," रोहित ने कहा।

"अच्छा ,गुड गुड,,, वैसे दीदी कहाँ हैं " रीना ने पूँछा
"अभी बात कराता हूँ, अरे अभी तो यहीं थी कहाँ चली गयी,में थोड़ी देर से कॉल करता हूँ" ये कहते हुए रोहित ने फ़ोन काट दिया ,और नैना को ढूंढने लगा ,बहुत ढूंढने के बाद देखा तो नैना इंक्वायरी रूम में थी, रोहित नैना के पास गया और पूँछा "अरे तुम यहाँ हो मैं तुम्हे कब से  दूध यह रहा था,क्या कर रही हो तुम,चलो रीना का कॉल आया था वो तुमसे बास्त करना चाहती थी,चलो चलें"

"अरे कुछ भी नहीं मैं तो बस यूँ ही यहाँ आ गयी थी, तुम चिंता मत करो मैं रीना को बाद में कॉल कर लूंगी ओके। " नकली नैना ने मुस्कुराते हुए कहा।

इधर रीना ने नैना को सारी बात बताई तो नैना ने रीना से कहा "तुम रोहित कॉल करो और मेरी बताई जगह पर आने को कहा पर उसको बोलना वो अकेले ही आये"  , रीना ने वैसे ही किया ।

और थोड़ी देर बाद रोहित ,रीना की बताई हुई जगह पर आ गया,
"अरे रीना तुम प्रयागराज में क्या कर रही हो, तुमने तो मुझे सरप्राइज ही दे दिया, और ये अजेले आने की बात क्यों की " रोहित ने कहा

"जीजू आप मेरे साथ आइये मैं सब बताती हूँ " रीना ने रोहित को समझाते हुए कहा।

रीना ने रोहित को बड़े हनुमान मंदिर में बुलाया था वहाँ के पुजारी बहुत सी सिद्ध शक्तियों के उपासक थे ,नैना को ये बात उसकी माँ ने बताई थी ,और इस समस्या से निबटने का ये एक बेहतर तरीका था इसिलिये नैना पुजारी जी के पास आई थी और सारी बातें साफ हो जाएं इसिलिये  उसने रोहित को भी बुला लिया था।

रीना रोहित को लेकर मंदिर के अंदर पहुँची ,पुजारी जी अपने आसान पर बैठे थे ,सामने भगवान की बड़ी सी प्रतिमा थी , "आओ बेटा ,अंदर आओ" पुजारी जी ने रोहित को बुलाया।
"प्रणाम गुरुजी" रोहित ने उनके पैर छूते हुए कहा ,और बैठ गया वो अब भी कुछ समझ नहीं पा रहा था आखिर रीना उसे मंदिर में क्यों लेकर आई है।

"जीजू मैं आपको जो बात बताने चाहती थी उसके लिए मंदिर से बेहतर और कोई जगह नहीं हो सकती थी और पुजारी जी आपकी सारी दुविधाओं को दूर करेंगे बस आप समझने की कोशिश कीजियेगा"
रीना रोहित को समझाते हुए बोली।

"ठीक है ,पर बात क्या है मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है और थोड़ी घबराहट भी हो रही है क्या तुम मुझे साफ साफ बताओगी "
रोहित ने कहा

"ठीक है, सब बताती हूँ,,,, दीदी बाहर आ जाईये" रीना ने पुकारा
और नैना बाहर आई, नैना को देखकर रोहित और कंफ्यूज हो गया,क्योंकि वो जिस नैना के साथ था वो तो अच्छी खासी तंदुरुस्त थी,तो फिर सूखे से शरीर और मुरझाये से चेहरे वाली ये दूसरी नैना कौन है?

"य ये क कौन है रीना,बिल्कुल मेरी नैना की तरह पर इतनी कमज़ोर और मुरझाई सी मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ,मैं नैना को तो अभी होटल में छोड़ कर आया हूँ" रोहित ने घबराते हुए कहा

"बेटा ये सब प्रकृति की माया है,जो तुम्हारे साथ है वो बस एक परछाई है ,एके अतृप्त आत्मा ,जो अपने अधूरे काम पूरे करने के लिए तुम्हारी पत्नी का रूप लेकर आई है, और ये तुम्हारी असली पत्नी है और में इसे प्रमाणित भी कर सकता हूँ" पुजारी जी ने रोहित को शांत करते हुए कहा।

"पर मैं कैसे मान लूँ ,ये कैसे हो सकता है,ये क्या हो रहा है,में पागल हो जाऊंगा" रोहित उद्विग्न होने लगा।

"मैं ही तुम्हारी नैना हूँ, ये शॉल तो याद होगा तुम्हें" नैना ने रोहित की तरफ वो गुलाबी शाल बढ़ाते हुए कहा ।

"ये शॉल तो, इसका मतलब तुम मेरी नैना" रोहित रो पड़ा और नैना को गले से लगा लिया।
रोहित के गले लगकर नैना अपनी सारी तकलीफ़ें भूल गयी ,दोनों आँसुओं से सराबोर हो गए, और अपनी तकलीफ़ें बाँटने लगे।

"तुम्हारी ऐसी हालत कैसे हो गयी नैना?,क्या इसकी वजह वो है जो मेरे साथ है,ये क्या हो गया तुम्हे,तुमने मुझे कुछ बताया क्यूँ नहीं"
रोहित बस खुद को कोस रहा था।

"हाँ!! मेरी इस हालत की जिम्मेदार वो ही है, पर उसके पीछे भी एक दर्द भरी कहानी है" और नैना ने सारी बात विस्तार से रोहित को बताई।

रोहित की आंखें नैना के दर्द को सुनकर बस आँसुओं से भरी थीं।

"पर अब आगे क्या" रोहित ने कहा
"हमें आरती सिंह के बारे में पूरी जानकारी निकालनी होगी, और उसके यहाँ आने का मकसद पता करना होगा ,इसमें हमें पुलिस की मदद भी लेनी होगी और पुजारी जी भी हमारी मदद करेंगे, तुम अभी उस आत्मा के साथ ही रहो उसे शक हुआ तो वो फिर से हमें नुकसान पहुंचा सकती है" नैना ने कहा

"क्या तुमने कुछ अजीब महसूस किया ,जब से वो आत्मा तुम्हारे साथ है बेटा" पुजारी जी ने पूछा

"ऐसा कुछ खास तो नहीं, पर हाँ उसने घर आते ही बेडरूम का आईना निकाल दिया ,मैंने जब पूँछा तो बोली आप बाथरूम वाला उसे कर लो ,मुझे किसी ज्योतिष ने कुछ दिन तक आईना बेडरूम से हटाने के लिए कहा है,और हाँ जबसे वो आयी है मैंने उसे कुछ भी खाते पीते नहीं देखा ,कुछ बोलता था तो डाइटिंग में हूँ या बाद में कहा लूँगी या पहले ही खा लिया कहकर टाल देती थी, वो मेरे साथ सोती भी नहीं थी ,कहती थी कुछ दिनों के लिए अलग सोने के लिए किसी बाबा ने कहा है ,मैं भी नैना से बहुत प्यार करता हूँ इसलिए उसकी गर बात की रिस्पेक्ट करता रहा" रोहित ने कहा

"वो एक परछाई है ,इसलिए वो खा पी नहीं सकती और आईने में उसे उसका असली रूप दिखाई देता है जो वो तुम्हें दिखा नहीं सकती इसीलिए उसने आईना हटा दिया, लेकिन नैना के साथ उस कॉटेज में कोई और भी था,"एक पिशाच", जिसने नैना के शरीर से थोड़ी थोड़ी करके खून चूसा ,वही उस कॉटेज की रखवाली कर रहा था और उसी ने आरती की आत्मा को बाहर निलकने में मदद की,दोनों का निदान करना होगा" पुजारी ने कहा

"मैं आरती सिंह के बारे में पता लगाऊँगी" रीना ने कहा

"रोहित अब तुम मुझसे तब तक नहीं मिलोगे जब तक सब ठीक नहीं हो जाता,मैं तुम्हारी जान खतरे में नहीं डाल सकती,हम फोन और massages से बात करते रहेंगे" नैना ने कहा।

"बेटा ये लो अभिमंत्रित आईंना और रक्षा सूत्र तुम्हारी सुरक्षा के लिए, आज रात उसके सोने के बाद तुम इस आईने में उसकी असली सच्चाई देख सकते हो ,और इससे वो तुम्हें नुकसान भी नहीं पहुंचा पाएगी ,ईश्वर तुम्हारी रक्षा करें" पुजारी जी ने रोहित को आशीर्वाद देते हुए कहा।

"ठीक है ,नैना मैं चलता हूँ ,अपना ख्याल रखना ,हम जल्द ही इस मुसीबत से पीछा छुड़ा लेंगे "रोहित ने नैना का हाँथ पकड़ कर हिम्मत देते हुए कहा, और वहाँ से चला गया।

इधर रीना ने आरती सिंह के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया।

रोहित होटल पहुँचा तो देखा वो दूसरी नैना सो चुकी थी,उसने सोचा आईने का इस्तेमाल करके देखता हूँ,उसने आईना निकाला  और उस आत्मा के चेहरे के पास लाकर देखा तो रोहित की आंखें फटी की फटी रह गईं ,उसका चेहरा बहुत ही भयानक था ,चेहरे का माँस दिख रहा था उस पर कीड़े रेंग रहे थे,रोहित डर से काँपने लगा कि तभी उस आत्मा की आँखे खुल गईं और रोहित के हाँथ से आईना नीचे गिर गया,उसने अपने हाँथ के इशारे से रोहित दीवार पर चिपका दिया और उसका गला मरोड़ने लगी,तभी रोहित को रक्षा सूत्र का खयाल आया उसने जेब से उसे निकाला और ज़ोर से उस आत्मा की तरफ फेंका, जिससे आत्मा ने रोहित को तड़ से नीचे पटक दिया और हवा की तरह खिड़की से बाहर निकल गयी,रोहित ने रक्षा सूत्र गले मे पहन लिया ,और नैना को कॉल कर सब कुछ बता दिया।
"रोहित तुम इसी वक्त मेरे पास आ जाओ" नैना ने कहा
और रोहित नैना के होटल जा पहुँचा वो बहुत ज्यादा डरा हुआ था और कांप रहा था।
अब किसी भी तरह आरती की आत्मा का मकसद पता कर इस डर से पीछा छुड़ाना था उन तीनों को।

क्रमशः

क्या है आरती की सच्चाई,क्यों गयी थी वो मदर टेरेसा स्कूल,क्या रोहित खुद को आरती की आत्मा से बचा पायेगा,कैसे उस कॉटेज वाले पिशाच से मुक्ति मिलेगी, पढ़िए अगले अंक में।

कॉटेज भाग - 3 'वेटर'

                                                       
                                                             कॉटेज भाग - 3 ' वेटर '






आज नैना और रीना उस होटल में गए जहाँ नैना और रोहित रुके थे,और काउंटर पर जाकर होटल में कर्मचारी से उस बन्द कॉटेज के बारे में पूँछ तांछ शुरू की।
होटल के कर्मचारी कुछ भी बताने को तैयार नहीं थे ,उन्होंने कहा कि उस कॉटेज की ऐसी कोई हिस्ट्री नहीं है ,जो कि किसी बुरी घटना से जुड़ी हो ,पर नैना को इस पर विश्वास नहीं हुआ पर वो हार नहीं मानना चाहती थी इसलिए उसने होटल के मैनेजर से मिलने की बात कही।
बड़ी रिक्वेस्ट के बाद होटल वालों ने नैना की मुलाकात होटेल के मैनेजर से कराई।

"हैलो मैं ही इस होटल का मैनेजर हूँ ,"विकास कामत" बताइये क्या मदद कर सकता हूँ आपकी" मैनेजर ने कहा
नैना ने कहा   
"सर पिछले दिनों मेरे साथ जो हुआ वो आपसे छुपा तो नहीं है,पर मैं पुलिस को इसमें इन्वाल्व नहीं करना चाहती थी इसीलिए मैंने उन्हें कुछ भी नहीं बताया ,पर मैं ये नहीं मान सकती कि उस कॉटेज में कुछ भी नहीं, क्योंकि मेरे साथ जो कुछ भी हुआ है, आप इमैजिन भी नहीं कर सकते"
नैना की आंखें भर सी आयीं और गला रुंध सा गया...

"देखिए ,मैडम ये हमारे होटल की रिपोटेशन का सवाल है ,फिर भी जैसा कि आपने पुलिस को कुछ ना बताकर हमारी मदद की है,तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता है मुझसे जो हो सके मैं आपकी मदद करूं"
होटल मैनेजर ने नैना की तरफ देखते हुए कहा।

"आपका बहुत शुक्रिया" नैना ने कहा

"मैडम ये बात दो साल पहले की है ,उस कॉटेज में एक कपल रुका हुआ था, और उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि हमें वो कॉटेज रातों रात बन्द करना पड़ा और हमनें उस कॉटेज में बुकिंग्स देना बंद कर दिया मैडम"   मैनेजर ने कहा।

"पर ऐसा क्या हुआ था उस कपल के साथ " नैना ने उत्सुकता से पूछा

"मैडम , उनके साथ बड़ी अजीब घटना हुई थी ,जो हसबैंड वाइफ वहां रुके हुए थे,वो दिल्ली से छुट्टियाँ बिताने यहाँ आये थे और जिस दिन वो यहाँ आये थे,उस दिन तो सब ठीक रहा पर अचानक रात में उस आदमी की ज़ोर ज़ोर से चीख़ने की आवाजें आने लगीं ,जब होटल स्टाफ़ ने जाकर देखा तो ,वो औरत खून नहाई टूटी हुई बोतल लेकर उस आदमी पर वार कर रही थी उस वक्त वो बड़ी ही भयानक लग रही थी उसके बाल बिखरे हुए थे और चेहरा खून से लाल था,वो आदमी बहुत ही बुरी हालत में था और हॉस्पिटल ले जाते समय उसकी मौत हो गयी थी"  मैनेजर ने गम्भीर होकर कहा।

"लेकिन इस औरत ने ऐसा क्यों किया क्या वो नशे में थी या फिर कोई मेंटल प्रॉब्लम या दोनों में कोई झगड़ा हुआ था"  नैना की उत्सुकता और बढ़ गयी।

"मैडम ,पहले हमें भी यही लगा,पर थोड़ी ही देर में वो औरत नार्मल हो गयी और चीख चीखकर रोने लगी ,वो अपने पति की ऐसी हालत देखकर सभी से पूँछ रही थी "ये किसने किया ये कैसे हुआ",और जब हमनें बताया कि "ये सब आपने ही तो किया है" ,तो वो बोली वो ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि वो अपने पति से बेहद प्यार करती है और वो तो सो रही थी, अभी अभी उसकी नींद खुली है और पुलिस ने उसके सारे टेस्ट करवाये थे न तो वो नशे में थी और न ही कोई मेंटल प्रॉब्लम थी उसको ,
"उसके बाद कुछ दिन पुलिस इन्वेस्टिगेशन के लिए वो कॉटेज बंद रहा और बाद में भी उसमें कुछ अजीब एक्टिविटी होने के कारण ,हमारा स्टाफ़ भी वहाँ जाने से डरने लगा और मज़बूरन एक पादरी को बुलवाकर उस कॉटेज को हमेशा के लिए बंद करा दिया गया"   मैनेजर ने बताया।

"क्या आप मुझे उस कपल का कॉन्टैक्ट नम्बर दे सकते हैं"  नैना ने कहा

"मैं दे देता मैडम ,पर आप बात किससे करेंगी उनके परिवार में वो दो हसबैंड वाइफ ही थे ,और पति की मौत हो चुकी है और पत्नी उसके कत्ल की सज़ा काट रही है " मैनेजर ने कहा

"ओह ! कोई बात नहीं, क्या बस यही बात है,,,? और कुछ अगर आपको याद आ रहा हो तो आप बता सकते हैं सर" नैना ने कहा ।

"नहीं मैडम बस इतना ही है जो मेरे जेहन में है" मैनेजर ने कहा 

"ओके थैंक यू सो मच" नैना ने कहा

"मैडम अगर आपको कोई ऐतराज ना हो तो एक बात पूँछ सकता हूँ?,"
मैनेजर ने नैना की ओर देखते हुए कहा।
"जी पूछिये " नैना ने कहा
"आप उस कॉटेज में कैसे पहुँची और एक हफ़्ते तक आप जिंदा कैसे रहीं" मैनेजर ने उत्सुकता दिखाते हुए कहा।
"सच कहूँ तो मुझे कुछ भी याद नहीं" नैना ने कहा
"कोई बात नहीं,पर आप ठीक हैं इस बात की खुशी है मुझे" मैनेजर ने कहा।
"तो फिर हम चलते हैं ,आपकी मदद के लिए बहुत शुक्रिया" नैना ने कहा
और फिर नैना और रीना वहाँ ने बाहर निकल गयीं

सामने देखा तो वही होटेल का कर्मचारी ,सामने से आते हुए दिखा , उसने नैना को देखकर अपना रास्ता बदल दिया और दूसरी तरफ चला गया, अब नैना का शक और गहरा गया,वो रीना से बोली "तुम बाहर चलो मैं एक मिनट में आई मुझे वाशरूम जाना है" 
रीना ने कहा "ओके दीदी ई विल वेट आउटसाइड" 
थोड़ी देर बाद नैना वापस आई और रीना के साथ बाहर निकल कर होटल के पास एक गार्डेन में जाकर बैठ गयी ।

"दीदी हम यहाँ क्यों बैठे हैं,अब तो आपको सब पता चल गया न तो होटल चलें " रीना ने पूछा

"नहीं रीना हमें जो पता है वो बस आधा रहस्य है पूरी बात अभी भी हमें नहीं पता है,वही बात पता करने के लिए हम यहाँ आये हैं" नैना ने कहा

"वो कैसे दीदी,क्या कोई आने वाला है" रीना ने कहा
"हाँ उसे आना ही होगा, क्योंकि अब उसके पास कोई चारा नहीं" नैना ने कहा।
"कौन आने वाला है दीदी" रीना ने उत्सुकता से पूछा
"होटल का वो कर्मचारी जिसके बारे में मैंने तुम्हें बताया था,उसका बरताव कुछ अजीब था,पहले दिन से ही जब मैं उससे मिली थी, आज फिर मुझे देखकर वो मुझसे छुपने लगा ,तो मैंने काउंटर पर एक चिट्ठी छोड़ी है उसके लिए" नैना ने कहा

इधर होटल में उस कर्मचारी को काउंटर वाला आदमी वो चिठ्ठी देता है,जिसे देखकर उसके पसीने छूटने लगते हैं, उसमें लिखा था
"मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानती हूँ,दो साल पहले जो कुछ भी हुआ था वो सब मैं जान चुकी हूँ ,अभी पास वाले गार्डन में आ के मिलो वरना पुलिस तुमसे ज्यादा दूर नहीं है"।

वो कर्मचारी गार्डेन पहुंचा ,नैना और रीना पहले ही उसका इंतजार कर रहे थे ,वह उनके पास गया और बोला

"मैं नहीं जानता ,कि आप क्या जानती हैं मेरे बारे में पर मैडम मैं एक ईमानदार आदमी हूँ और मैंने जो कुछ भी किया था वो मेरी मजबूरी थी,जिसके लिए मैं खुद को दिन रात कोसता हूँ, और कभी कभी तो मेरा मन करता है कि मैं पुलिस को सब कुछ बता दूं मैडम, पर फिर परिवार का खयाल मुझे रोक लेता है उनका मेरे सिवाय कोई नहीं "
इतना कहते कहते वो फूट फूट कर रोने लगा

"क्या तुम हमें अपनी ज़ुबानी बताओगे उस दिन क्या हुआ था" रीना ने कड़े स्वर में कहा।

"मैडम बात दो साल पुरानी है,होटल में एक आदमी और एक औरत रुकने के लिए आये उन्होंने वही कॉटेज बुक कराया जो अब बन्द पड़ा है,दोनों मैडम और सर बहुत ही अच्छे थे,और मैडम तो और भी अच्छी थीं,मैं दो दिन में उनका ख़ास बन गया था ,सब बढ़िया जा रहा था, सर ने मेरा कॉन्टैक्ट नम्बर भी ले लिया था और कहते थे ,तुम जब चाहो इलाहाबाद आ सकते हो,वो मुझे अच्छी खासी टिप भी देते थे, मैं भी उनका खास खयाल रखता था।"  कर्मचारी ये सब नैना को बता रहा था

"और उस दिन शाम को मेरा बेटा सीढ़ियों से गिर गया उसे बहुत ज्यादा चोंट आ गयी उसका सर फट गया था ,तो डॉक्टर ने ऑपेरशन करने के लिए कहा और मुझसे डेढ़ लाख रुपये जमा कराने को कहा,मैं इतने पैसे कहाँ से लाता,अपनी बेबसी और मरते हुए बेटे को देखकर रोने के सिवाय कुछ नहीं सूझ रहा था।

होटल मालिक को फोन कर पैसे मांगे तो उसने ये कहके मना कर दिया कि "नए कर्मचारी को हम इतना एडवांस नहीं दे सकते",
तभी मुझे उन साहब का फोन आया, "पैसे चाहिए तुम्हें,तो अभी होटल आ के ले जाओ" और फोन काट दिया।
"उस दिन मौसम बहुत खराब था बारिश और तूफान जोरों पर थे ,मैं किसी तरह रात के अंधेरे में होटल पहुंचा रात काफी हो चुकी थी इसलिए होटल में चहल पहल भी ना के बराबर थी, मैं सीधे कॉटेज की तरफ गया, "सर दरवाज़ा खोलिये मैं हूँ जोसेफ़" ,मैंने आवाज़ लगाई"
सर ने थोड़ा सा दरवाज़ा खोलकर मुझे अंदर आने का इशारा किया और मेरे अंदर आते ही दरवाज़ा बन्द कर लिया।

अंदर कमरा बहुत फैला हुआ था , सिगरेट और शराब की गंध पूरे कॉटेज में फैली हुई थी, सर सोफे पर बैठ गए और फिर से एक सिगरेट जलाई और पीने लगे ,मैंने हिम्मत जुटाकर कहा 
"सर मुझे पैसे की सख्त जरूरत है, मेरे बेटे के सर पे गहरी चोंट है अगर ऑपेरशन नहीं हुआ तो अनहोनी हो सकती है सर ,आप प्लीज मुझे पैसे दे दीजिए मैं ,थोड़ी थोड़ी करके आपके पास वापस कर दूंगा"

सर थोड़ा मुस्कुराये और मुँह से सिगरेट का कश लेते हुए बोले "आई नो जोसेफ़ तुम्हें पैसे की सख़्त जरूरत है तुम्हारे एक कलीग ने सब बताया मुझे ,इसीलिए मैंने तुम्हें यहाँ बुलाया है,मैं तुम्हें पैसे दे दूंगा अभी और हाँ उसे लौटने की भी कोई जरूरत नहीं हैं"
मैंने सर हाथ चूम लिए और रो पड़ा ,
तब सर ने फिर कहा " पर एक प्रॉब्लम है"
मैंने सर की तरफ देखा तो उन्होंने कहा " जोसेफ़ हर चीज की एक कीमत होती है,मैं तुम्हे पैसे दे दूंगा ,बस एक छोटा सा काम करना होगा तुम्हें"
"क्या काम है सर ,बताइये मुझे ,मैं करूंगा" मैं अपने बेटे को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार था।
"अच्छा सोच लो एक बार फिर " सर ने मुस्कुराते हुए कहा
तो मैंने भी कहा "मैंने सोच लिया है आप काम बताइये"
"तो फिर ठीक है ,आओ मेरे साथ" और सर ये कहते हुए मुझे बेडरूम की तरफ ले गए ,बेडरूम में घुसते ही मेरे पैर ठिठक गए ,आँखे फट गयीं ,बेड पर मैडम की लाश पड़ी थी,उनकी दोनों आँखे छत को ताक रही थीं और चेहरा नीला पड़ चुका था ,बेड पूरी तरह से अस्त व्यस्त था ऐसा लग रहा था ,किसी ने तकिये से मुँह दबा के मैडम को मारा हो और मैडम ने खुद को बचाने की बहुत कोशिश की हो।
मैं हक्का बक्का रह गया,
सर ने मेरी ओर देख कर कहा 
"बहुत प्यार करता था मैं अपनी बीवी से पर ये बदचलन निकली,इसका अफ़ेयर चल रहा था किसी के साथ,जब मैंने इसे समझाने की कोशिश की तो मुझसे बहस करने लगी और मैंने गुस्से में इसे मार दिया,मुझे इसका कोई दुख नहीं"
मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था,बस मूर्ति की तरह खड़ा था।
"इसकी लाश को ठिकाने लगाने में मेरी मदद करो ,मैं तुम्हें दो लाख रुपये दूँगा" सर से कहा।
"पर पर मैं कैसे सर,किसी ने देख लिया तो आप और में दोनों फंस जायेंगे ,मेरे पीछे मेरा पूरा परिवार है सर " मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

"इसीलिए तो तुम्हें बुलाया है मैंने,क्योंकि तुम ऊटी के चप्पे चप्पे से वाकिफ़ हो ,कोई ऐसी सुनसान जगह बताओ जहाँ हम इस लाश को दफना सकें,और भूलो मत तुम्हें पैसे की जरूरत भी तो है कौन देगा इतने पैसे तुम्हें" सर ने कहा

मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था मरते हुए बेटे को बचाने के लिए न चाहते हुए भी इस पाप में साथ देना पड़ा।

मैंने सर से कहा "ठीक है पीछे वाले गेट से लाश को सूटकेस में भरकर बाहर निकालेंगे ,वहाँ सीसीटीवी कैमरा नही है ,और दस किलोमीटर दूर एक जंगल है वहाँ हम लाश को दफनाया जा सकता है।

हमने लाश को बड़े से बैग में भरा और बाहर निकाल ने ही वाले थे कि किसी की आवाज सुनाई दी, किसी कॉटेज में बड़ा सा साँप निकल आया था और भीड़ इक्कट्ठी हो गयी थी,बाहर जाना मुश्किल था,सब लोग जाग रहे थे।
मुझे किसी भी तरह ये काम खत्म करके हॉस्पिटल पहुँचना था , इसलिए हमनें लाश को कॉटेज में ही दफनाने का प्लान बनाया, कॉटेज की फर्श कच्ची थी और उसके ऊपर लकड़ी के टाइल्स बिछे हुए थे।
हमनें बेड को एक तरफ खिसकाया और वहाँ की टाइल्स को निकालकर गार्डनिंग वाले औज़ार से धीरे धीरे खोदना शुरू किया ,हमें काम ऐसे करना था कि आवाज बाहर न जाये।

हमने कॉटेज के खिड़की दरवाजे अच्छी तरह से बन्द कर रखे थे जिससे आवाज़ बाहर न जाये और वैसे भी कॉटेज साउंड प्रूफ बनाये गए हैं।
हमने कमर तक का गढ्ढा खोदा और मैडम की लाश को दफ़न दिया सब कुछ पहले जैसा कर दिया और उसके ऊपर वापस बेड रख दिया ।

काम होने के बाद सर ने मुझे पैसे दिए और साथ ही साथ मोबाईल से खींचा हुआ एक फोटो भी दिखाया जिसमें मैं मैडम की लाश को सूटकेस में डाल रहा हूँ,और कहा" ये बस मेरी सिक्योरिटी के लिए हैं बाकी तुम तो समझदार हो तुम किसी से कुछ नहीं कहोगे ये मैं जानता हूँ"

और कहा "अब एक काम और करना ये बेहोशी की दवा है इसे मुझे सुंघा देना जिससे मैं बेहोश हो जाऊँगा और फिर तुम दरवाजा खुला छोड़ कर चले जाना,लोगों को लगेगा मेरी बीवी का अपहरण हुआ है,बाकी मैं सब देख लूंगा"

मैंने वैसा ही किया ,पैसे लेकर होस्पिटल आया ,मेरे बेटे का ऑपेरशन हो गया,दूसरे दिन अखबार में ख़बर आयी कि "इलाहाबाद की मशहूर बिज़नेस वोमेन आरती सिंह ऊटी से लापता" और मैडम कि फोटो भी थी तब पता चला ,वो आदमी मैडम का दूसरा पति था पहले पति की मौत के बाद मैडम ने उस आदमी से दो महीने पहले ही शादी की थी।

"मैं आज तक खुद को माफ नहीं कर पाया हूँ मैडम" जोसेफ़ ने रोते हुए कहा।

"पर तुम्हारे होटल के मैनेजर ने तो कोई और ही कहानी बताई थी,किसी दूसरे कपल की जिसमें वाइफ ने हसबैंड को मार दिया था,तो फिर ये कौन सी नई कहानी है"  नैना ने जॉसेफ को घूरते हुए कहा

"मैनेजर साहब सच कह रहे हैं मैडम ,क्योंकि उनको आरती मैडम के बारे में कुछ नहीं पता है,और वो कपल आरती मैडम के मर्डर के एक हफ्ते बाद आया था,और वाइफ ने हसबैंड को मार दिया था,मैं वहीं था ,वो मुझे ऐसे घूर रही थी जैसे वो मुझे मारना चाहती हो,मैं समझ गया वो आरती मैडम ही थीं,तब से हर रात मैं डर डर के सोता हूँ नींद भी नहीं आती ,मैंने नाईट शिफ्ट करना भी बंद कर दिया है,वो मुझे पल पल मार रही है, मैंने बहुत बड़ा क्राइम किया है मैडम,दो दो जिन्दगियां बर्बाद कर दीं।
जोसेफ़ रो रो कर सब बता रहा था।


अब नैना को कुछ कुछ धुँआ छंटता हुआ सा दिख रहा था।
उसने जोसेफ़ से कहा "तुमने गलत किया पर तुम्हारी मुश्किल भी समझती हूँ ,मैं तो किसी से कुछ नहीं कहूंगी पर तुम्हारा गुनाह छुप नहीं सकेगा"
इतना कहकर नैना रीना के साथ वहाँ से चली गयी।
"रीना तुम लखनऊ रोहित को कॉल करो और पूँछो वहाँ क्या हो रहा है"नैना ने कहा
"ओके दीदी" रीना ने रोहित को कॉल लगते हुए कहा
"हैलो जीजू कैसे हो आप और दीदी कैसी हैं" रीना ने रोहित से पूँछा
"अरे यार क्या बताऊँ जब से तुम्हारी दीदी ऊटी से आई है न जाने क्या हो गया है न खाती है न पीती है और अब एक नई रट लगा रखी है की "इलाहाबाद जाना है घूमने" तो बस इलाहाबाद जा रहे हैं कल ,और बताओ तुम किसी हो बैंगलोर में" रोहित ने पूछा
"मैं ठीक हूँ जीजू, ओके बाद में बात करती हूँ",बाई"   और रीना ने फोन काट दिया।
नैना अब सब समझ चुकी थी,
उसने रीना से कहा "इलाहाबाद जाना होगा टिकिट बुक कर लो"
आखिर क्या होने वाला है इलाहाबाद में क्या रोहित असली नैना को पहचान पायेगा ,पढ़िए अगले अंक में।
क्रमश:
***


प्राची मिश्रा


कॉटेज भाग - 2 'गुलाबी शॉल'

                                                            ◆◆ कॉटेज भाग - 2◆◆






एक हफ़्ते बाद .... 

आज उस कॉटेज में जहां नैना और रोहित रुके थे एक नया कपल रहने रहने आया है और वही सब जो नैना के साथ हो रहा था वो उनके साथ भी हो रहा है, लेकिन इस बार उस नए जोड़े ने ज़िद करके उस होटल के स्टाफ़ को बुलाकर कॉटेज खुलवाया।

कॉटेज के अंदर बहुत गन्दगी थी सारा सामान अस्त व्यस्त था ऐसा लग रहा था सालों से वहाँ साफ़ सफाई नहीं हुई थी और अंदर से बहुत बदबू भी आ रही थी,वो सभी एक एक कर अंदर गए ,सभी बहुत डरे भी हुए थे ,पर इस राज से पर्दा तो उठाना ही था ।

तभी वो औरत जो उस कॉटेज में रहने आई थी ज़ोर से चीखी
"ओ माय गॉड"!!!
सभी दौड़ते हुए बेडरुम में गये तो देखा फर्श पर एक औरत की लाश पड़ी है ,वो बहुत ही भयानक लग रही है उसका पूरा शरीर नीला पड़ चुका है और शरीर की एक एक हड्डी दिख रही है।
वो नैना थी!!
सब उसको ध्यान से देखने लगे कि तभी उसके हाथों की उंगलियाँ थोड़ा हिलीं "ये तो जिंदा है" उस आदमी ने कहा 
और आनन फानन में नैना को हॉस्पिटल में एडमिट किया गया ,नैना की हालत बहुत नाज़ुक थी ।
और डॉक्टरों का कहना था कि "नैना के शरीर में खून न के बराबर है और उसके बचने की उम्मीद भी बहुत कम है"
अब नैना एक कंकाल की तरह दिख रही थी और बेहोशी की हालत में भी " रोहित" का नाम पुकार रही थी और रह रहकर चीख़ भी रही थी। 

इधर होटेल वाले भी बहुत हैरान थे क्यूँकि उन्होने नैना को रोहित के साथ जाते हुए देखा था ,तो फिर ये कौन थी और आख़िर उस बंद कॉटेज में पहुँची कैसे ?

ऐसे बहुत से सवाल थे जो सबके दिमाग़ घूम रहे थे पर सभी नैना के होश में आने का इंतज़ार कर रहे थे ,क्यूँकि जब तक नैना स्वयं उसके साथ हुयी घटना की जानकारी नहीं दे देती किसी से कुछ भी कहना बेकार था ,होटेल वाले अपने होटेल का नाम ख़राब नहीं होने देना चाहते थे ,इसीलिए उन्होंने रोहित को भी ख़बर नहीं दी,अब बस इंतज़ार था नैना के होश में आने का ।

चार दिन बाद नैना होश आ गया ,और पुलिस इन्स्पेक्टर उससे पूँछतांछ करने के लिए आए ,क्यूँकि हॉस्पिटल वालों ने पुलिस को इस बारे में जानकारी पहले ही दे दी थी ,इसीलिए नैना के होश में आते ही इन्स्पेक्टर को ख़बर दे दी गयी और वो आ गए । 

"हेलो मैडम !! मैं इसंपेक्टर के. मूर्ति हूँ ,अब आपकी तबियत अब कैसी है "  इंस्पेक्टर ने नैना से पूछा।

नैना ने सिर हिलाकर ठीक होने का इशारा किया।

इंस्पेक्टर पूँछताछ शुरू करते इससे पहले ही एक नर्स वहाँ आयी और उसने हिदायत देते हुए कहा
"सर !! मैडम अभी भी बहुत ठीक नहीं हैं आप इनसे ज्यादा सवाल जवाब ना करें तो बेहतर होगा वरना इनकी तबियत बिगड़ सकती है"
"डोंट वरी सिस्टर आई विल आस्क ओनली इम्पोर्टेन्ट क्वेश्चनस "
इंस्पेक्टर ने नर्स को आश्वस्त करते हुये कहा।

"मैडम क्या आप बता सकती हैं आपका नाम क्या है"
इंस्पेक्टर ने पूछा।
"न न नैना" नैना ने कांपते हुए स्वर में कहा।
इंस्पेक्टर ने दूसरा सवाल पूछा   "आपके साथ हुआ क्या?"
"मुझे कुछ याद नहीं है" नैना ने जवाब दिया ।
" आपका कोई रिश्तेदार जिसे हम इंफॉर्म कर सकें आपकी हालत के बारे में" इंस्पेक्टर ने फिर पूछा।
"जी मेरी बहन है रीना ,वो बैंगलोर में रहती है आप उसको कॉल कर सकते हैं क्या? मैं बात करना चाहती हूँ" नैना ने कहा।
"बिल्कुल मैं अभी कॉल करता हूँ,क्या आप मोबाइल नंबर बताएंगी?"
इंस्पेक्टर ने नैना से पूछा।
नैना ने नम्बर बताया और इन्स्पेक्टर ने अपने मोबाइल से कॉल किया
"हेलो कौन" सामने से रीना ने कहा
"मैं इंस्पेक्टर के.मूर्ति बोल रहा हूँ ऊटी से,आपकी बहन नैना आपसे बात करना चाहती हैं ,प्लीज बात कीजिये"
इतना कहते हुए इंस्पेक्टर ने मोबाइल नैना की तरफ बढ़ा दिया।

इधर रीना कुछ समझ नहीं पा रही थी क्योंकि आज सुबह ही रोहित ने उसे फोन कर बताया था कि नैना और उसका हनीमून अच्छा रहा और वो लोग अब लखनऊ में ही हैं,तो फिर ये कौन थी जो ऊटी में है?

"हैलो रीना मेरी बात ध्यान से सुनो ,मैं दीदी बोल रही हूँ ,तुम जल्दी से ऊटी आ जाओ और इस बारे में तुम किसी से बात मत करना और हां मैंने तुम्हे जो शॉल दिया था वो गुलाबी रंग वाला उसे जरूर लेकर आना क्योंकि ठंड बहुत है यहाँ"
नैना ने रीना को समझाते हुए कहा।
गुलाबी शॉल की बात रीना और नैना के अलावा और कोई नहीं जानता था ,ये बात सुनकर रीना समझ गयी कि उसे अब क्या करना है।

अगली सुबह रीना ऊटी पहुँच गयी और नैना से मिलने हॉस्पिटल गयी,नैना की दुर्दशा देखकर आंसुओं को बहने से रोक न सकी और नैना भी रीना को देखकर फूट फूटकर रोने लगी,तब रीना ने नैना से रट हुए पूछा  "दीदी आपकी ये हालत कैसे हुई और ये सब हो क्या रहा है ,मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूँ, आपने मुझसे कहा किसी को कुछ मत बताना और कल जीजाजी का फ़ोन आया था ,उन्होंने कहा आप उनके साथ हैं पर आप तो इस हालत में यहाँ हैं,तो क्या जीजाजी ने आपके साथ कुछ....या फिर वो झूठ बोल रहे हैं ,मुझे बताओ दीदी"
अब रीना आतुर हो उठी थी।
"तेरे जीजाजी ने कुछ नहीं किया और वो कोई झूठ नहीं बोल रहे रीना ,ये एक रहस्य है जिसे मैं भी जानना चाहती हूँ" नैना ने कहा 
और उस रात हुई सारी घटना रीना को बता दी।
रीना की आँखे फटी रह गईं ,उसके रोंगटे खड़े हो गए ,उसने हकलाते हुए नैना से कहा" फिर तुमने जीजाजी को कुछ क्यों नही बताया"

"रीना जैसा कि मैंने बताया एक नैना उनके साथ है, अगर वो मेरा रूप ले सकती है और मुझे वहाँ कैद कर सकती है तो वो कुछ भी कर सकती है,मैं रोहित की जान खतरे में नहीं डाल सकती थी,और जब तक ये राज मैं जान नहीं लेती, हर कदम सोच समझ कर उठाना होगा रीना" नैना ने ठंडी सांस भरते हुए कहा।

"तो अब क्या दीदी,कैसे इस रहस्य को जान पायेंगे हम ,कौन बताएगा हमें" रीना ने पूछा।
"होटल का वो पुराना वर्कर जो मुझे उस दिन मिला था जिस दिन ये हादसा हुआ था,उसके चेहरे के भाव और उसकी बातें बिल्कुल मेल नहीं खा रहे थे,ऐसा लगता है वो कुछ तो ऐसा जनता है ,जो उस कॉटेज से जुड़ा है" नैना ने कहा।
"हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद हम उस वर्कर से पता करने की कोशिश करेंगे" रीना ने कहा।
और दोनों बहनों ने एक दूसरे के हाँथो को कस कर पकड़ लिया ,और एक दूसरे की आंखों में देखा,जैसे कह रही हों"तैयार हैं हम"..

तीन दिन बाद नैना को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई, वो बहुत ठीक तो नहीं थी पर बेहतर थी,रीना ने एक होटल में पहले ही कमरा बुक कर रखा था ,रीना नैना को लेकर होटेल पहुँची।
पति से बिछड़ी हुई और उस दर्दनाक हादसे से गुज़री हुई नैना बहुत दुखी थी और अपनी हाल ही में हुई शादी की यादों में खोई हुई थी।

"दीदी क्या हुआ" रीना ने पूछा,
तब नैना की तन्द्रा टूटी,"कुछ नहीं बस यूं ही" नैना ने कहा
नैना बहुत ही हिम्मत वाली थी,वो रीना को अपनी परेशानी बताकर परेशान नहीं करना चाहती थी।
तभी रीना ने वो गुलाबी शॉल निकालकर नैना को दिया,सफेद कढ़ाई वाला वो बहुत ही सुंदर शॉल था, नैना ने उस शॉल की ओर मुस्कुरा कर देखा और फिर सीने से लगा लिया जैसे उसे कोई अपना मिल गया हो,
"दीदी आपको ये शॉल अब भी बहुत प्यारा है ना?,मुझे याद है मैंने कितना लड़ लड़कर ये शॉल आपसे लिया था" रीना ने हँसते हुए कहा।
"हाँ सब याद है"  नैना ने शॉल को समेटते हुए कहा,,,और यादों में खो गयी।
ये बात दो साल पहले की है,तब नैना अपने माँ ,पापा और अपनी छोटी बहन रीना के साथ कानपुर में रहती थी ,नैना के पापा सरकारी बैंक में ऑफिसर थे, एक दिन नैना और रीना कुछ खरीददारी करने बाजार गए थे,वहाँ नैना को एक शॉल पसन्द आ गया और उसने दुकानदार से कहा "भैया प्लीज इसे पैक कर दो ,मैं ले रही हूँ इसे" 
"माफ कीजिये मैडम ये तो उन सर ने पहले ही पसंद करके रखा है,आप कुछ और ले लीजिए" दुकानदार से एक जेंटलमैन की तरफ इशारा करते हुए कहा।
नैना ने पलट कर देखा तो एक खूबसूरत नौजवान उसकी तरफ बड़ी उत्सुकता से देख रहा था, नैना झेंप गयी और दुकानदार की ओर देखकर बोली "नहीं भैया मुझे और कुछ नहीं चाहिए"
और उठ कर वहाँ से बाहर निकल गयी,वो अब भी उस आदमी के बारे में सोच रही थी जो दुकान में उसे मिला था, और तभी पीछे से रीना ने आवाज लगाई, "दीदी आप मुझे बताये बिना ही दुकान से बाहर आ गईं ,ऐसा क्या हो गया" नैना ने खीझते हुए कहा
"अरे वो मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था तो बस बाहर आ गई" नैना ने कहा।
"अच्छा चलो घर चलें" रीना ने कहा
तभी पीछे से किसी ने आवाज दी  "एक्सक्यूज़ मी प्लीज"
रीना और  नैना ने पीछे मुड़ कर देखा तो वही नौजवान उनके पीछे हाँथ में एक पैकेट लेकर खड़ा था।
जब नैना ने उसे देखा तो नजरें नीचे ऊपर करने लगी और एक अजीब सी घबराहट महसूस करने लगी।
"यस" रीना ने कहा
"आप कौन,क्या आप हमें जानते हैं ?"रीना ने सवालों की झड़ी लगा दी

"जी नहीं, मैं आपको नहीं जानता ,मेरा नाम रोहित है,और मैं भी यहाँ शॉपिंग करने ही आया हूँ,दरअसल मुझे एक शॉल बहुत पसंद आया था जो कि मैं अपनी बहन के लिए ले रहा था पर इत्तेफ़ाक़ से वही शॉल इनको भी पसन्द आ गया "  रोहित ने नैना की तरफ इशारा करते हुए कहा।

"तो प्रॉब्लम क्या है " रीना ने फिर पूछा
"लेकिन अभी लखनऊ से मेरी बहन का अभी अभी कॉल आया था सने कहा अब उसका मूड चेंज हो गया है उसे गुलाबी नहीं ग्रे कलर की शाल चाहिए" रोहित ने कहा,,
"तो इसमें हम आपकी क्या मदद कर सकते हैं सर" रीना ने व्यंग्यात्मक तरीके से कहा।
"मैंने सोचा ये शॉल आपको दे दूं ,अब जब मैं इसे नहीं ले रहा हूँ तो"
रोहित ने मुस्कुराते हुए कहा
तो नैना ने धीमी आवाज में कहा "इसकी कोई जरूरत नहीं ,मैं कोई दूसरा शॉल ले लेती हूँ और वैसे भी मैं आपसे ये कैसे ले सकती हूँ"

"मैं ये शॉल आपको फ्री में नहीं दे रहा हूँ,आप मुझे इसके पैसे दे दीजिए,और इसे ले लीजिए" रोहित ने कहा

"ठीक है,कितने पैसे देने हैं" रीना ने पूछा
"जी आठ सौ पचास रुपये" रोहित ने कहा
नैना ने पर्स से पैसे निकाल कर रोहित को दिए और "थैंक यू" कहा
इस छोटी सी मुलाकात में ही ,दोनों की आँखे एक दूसरे से न जाने कितनी बातें कर लीं थी।
रीना ये सब देख रही थी,रोहित से शॉल लेकर नैना शर्माते हुए घर की तरफ चल दी।
"अच्छा तो इतना सब कुछ हो गया ,इसीलिए तुम दुलन से भाग आयी थी,है ना दीदी"  रीना ने नैना छेड़ते हुए कहा।
"क्या तू भी कुछ भी बोलती रहती है पागल,ऐसा कुछ भी नहीं है,मैं तो उसे जानती भी नहीं", नैना ने शर्माते हुए कहा।
"तो जान जाओगी, शॉल के पैकेट में एक पर्ची जो डाल के दी है उस हैंडसम ने,देखा था मैंने" रीना ने फिर मज़ाक करते हुए कहा
"क्या सच में, मैंने तो देखा भी नहीं,ओफ्फो देखूँ तो ज़रा क्या लिखा है"
नैना ने बेचैनी में कहा और पैकेट टटोलने लगी।
"तो आग दोनों तरफ बराबर लगी है" रीना ने हँसते हुए कहा,तो नैना झेंप गयी उसे एहसास हुआ कि वो कुछ ज्यादा ही उत्साहित हो गयी थी।
उस शॉल के पैकेट में एक विज़िटिंग कार्ड था जिस पर रोहित के ऑफिस का एड्रेस और उसका फोन नंबर था,रीना ने वो कार्ड नैना के हाँथ से छीन लिया और उसे चिढ़ाने लगी।
"रीना की बच्ची कार्ड वापस कर " नैना चीखी
"मैं नहीं दूंगी, अगर चाहिए तो ये शॉल मेरे हवाले करने होगा, वरना कार्ड मम्मी को दे दूँगी" रीना ने नैना को फिर चिढ़ाया।
"ठीक है ले लो" नैना ने मुँह बनाते हुए कहा, और शॉल रीना को दे दिया।
कार्ड पाकर नैना बहुत खुश हुई और यहीं से रोहित और नैना की लव स्टोरी की शुरुआत हुई जिसका अंजाम दो साल बाद उनकी धूम धाम से शादी के साथ हुआ"

ये सब कुछ याद करके नैना की आँखे भर आईं ,और वो खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगी,अब उसे उस रहस्य से पर्दा उठाना था,जिसने उसकी ये हालत कर दी थी।
उसने रीना से कहा"आज हम होटल जाएंगे,उस कॉटेज का राज जानने आखिर हुआ क्या था वहाँ और कौन थी वो परछाई जो हर रात मुझे उसे कॉटेज से बुलाती थी",,,,,

क्रमशः

प्राची मिश्रा



कॉटेज भाग - १ - काली परछाई

                                                           ◆◆कॉटेज भाग - १◆◆






कॉटेज भाग - १ - काली परछाई


रोहित और नैना की नई नई शादी हुई थी, रोहित की बड़ी बहन ने शादी के तोहफ़े के तौर पर दोनों को ऊटी का हनीमून पैकेज दिया था ,शादी के दो दिन बाद ही लखनऊ से ऊटी की टिकट थी, रोहित बहुत ही उत्साहित था और नैना के साथ पैकिंग में उसकी मदद कर रहा था, नैना का मन न जाने क्यों बहुत बेचैन सा हो रहा था ,जैसे कोई उसे ऊटी जाने से रोक रहा हो पर वो रोहित से बहुत प्यार करती थी इसलिए रोहित को अपने मन की उद्विग्नता बता न सकी।

दो दिन बाद दोनों सुबह सुबह ऊटी के लिए निकले और रात के नौ बजे ऊटी पहुंच गए, पर उनका होटल काफी दूर था इसलिए पहुँचते पहुँचते 10.30 बज चुके थे ,होटल काफी आलीशान था और उनके लिए अलग से कॉटेज बुक किया गया था, सफर से दोनों काफी थके हुए थे इसलिए रूम की चाभी काउंटर से लेकर रूम की ओर बढ़ने लगे, तभी नैना को ऐसा लगा कोई ठंडी सी चीज उसे छू कर निकल गयी वो अंदर तक काँप गई पर उसने सोचा ऊटी में ठंड रहती है शायद उसी का असर होगा, उसने इस बारे में रोहित से कुछ भी नहीं कहा ,पर फिर भी उसका मन बड़ा बेचैन था वो कुछ सोच में पड़ गयी और चलती गयी कि तभी
"अरे नैना डार्लिंग क्या कर रही हो हमारा कॉटेज इस तरफ है वहाँ कहाँ जा रही हो"
तभी नैना की तन्द्रा टूटी ,उसने देखा वो दूसरे कॉटेज की तरफ़ मुड़ गयी थी जो कि बंद पड़ा था,रो हित की पुकार सुनकर वो अपने कॉटेज के पास गई पर न जानें क्यों उस बन्द कॉटेज में क्या था नैना बस उसे घूरे जा रही थी, रोहित ने ज़ोर कहा "अब अंदर भी आ जाओ या यूं ही बाहर खड़े रहने का इरादा है" नैना ने रोहित की तरफ देखा और शर्माते हुए अंदर आ गई, नई शादी के बाद युगल दम्पत्ति में जो प्यार और परवाह होता है वो रोहित और नैना में भी था।

डिनर करने के बाद दोनों सोने चले गए ,उनके बेडरूम की खिड़की से वो बंद पड़ा कॉटेज साफ दिखता था, रात के दो बज रहे थे कि अचानक किसी ने खिड़की पर तीन बार ज़ोर से थपथपाया नैना घबरा कर उठी और रोहित की तरफ देखा वो गहरी नींद में था, तो उसने खिड़की के पर्दे को धीरे से हटा कर बाहर देखने की कोशिश की बहुत कोहरा और अंधेरा था कोई नही दिखा की तभी उस बन्द पड़े कॉटेज की तरफ नज़र गयी, कोई परछाई काँच के दरवाज़े के पास दिखी उसे लगा उसका भ्रम है पर वो परछाई धीरे धीरे हाँथ हिलाकर उसे पास आने का इशारा कर रही है,नैना ने सोचा शायद किसी को मदद की जरूरत हो तो उसने रोहित को उठाया "रोहित उठो न शायद किसी को हमारी जरूरत है उस कॉटेज में" थकान से चूर बेसुध सो रहे रोहित ने अर्धसुप्तावस्था में कहा"ऐसा नहीं है वो कॉटेज बंद है वहां कोई नहीं है तुम्हे भ्रम हुआ है थकान की वजह ,से सुबह बात करते हैं" पर नैना का मन नहीं माना उसने फिर से कॉटेज की तरफ देखा पर अब वहाँ कोई नहीं था ,अब नैना को भी लगा शायद वो बहुत थक गई है उसे भ्रम हुआ है।

दूसरे दिन दोनों घूमनें के लिए निकले पर नैना रात की घटना भूल नहीं पाई थी ,अपने कॉटेज से निकलते हुए वो उस बन्द पड़े कॉटेज को निहारते हुए बाहर की तरफ आ रही थी कि तभी होटल का एक कर्मचारी उस ओर आता दिखा नैना ने उसे रोककर पूछा"क्या इस कॉटेज में कोई है" कर्मचारी हड़बड़ा गया और थूंक गुटकते हुए बोला "न न नहीं मैडम वहाँ तो कोई भी नहीं है देखिये ताला लगा हुआ है"
नैना ने मुस्कुराते हुए बोला "ओके थैंक यू".

दूसरी रात भी दोनों डिनर करके सोने चले गए ,रात के दो बजे के करीब फिर से वही आवाज़ नैना ने सुनी उसकी नींद टूटी और उसने पर्दे को हटाकर देखा फिर वही सन्नाटा और अंधेरा उसकी नज़र जब कॉटेज की तरफ़ गई तो फिर वही परछाई उसे मदद के लिए बुला रही थी,उसने सोचा रोहित को उठा दे पर फिर उसे लगा ,रोहित गहरी नींद में है उसे उठाना ठीक नहीं, उसने अकेले ही उस परछाई का राज जानने का फ़ैसला किया ।
नैना कॉटेज से बाहर आई ठंड बहुत थी और चारों ओर सन्नाटा और अंधेरा था ,उसने हिम्मत जुटाई और उस कॉटेज की तरफ बढ़ने लगी सूखे पत्तों पर चलने से जो आवाज़ आ रही थी वो रोंगटे खड़े करने वाली थी,उसे लग रहा था कोई उसके साथ साथ चल रहा है पर उसने फैसला किया वो पीछे मुड़कर नहीं देखेगी और चलते हुए उस बन्द पड़े कॉटेज के पास आई ।

"एक्सक्यूज़ मी कोई है मैं नैना सामने वाले कॉटेज में रुकी हूँ क्या आप ठीक हैं" नैना ने काँपती सी आवाज़ में कहा,
तभी धीरे से दरवाज़ा खुला ,नैना काँप गयी ,उसने झाँककर देखा अंदर काफी अंधेरा था वो दृश्य बहुत ही भयानक था ,कि तभी अंदर से रोने की आवाज़ आने लगी जैसे कोई दर्द से तड़प रहा हो,नैना और डर गई ,फिर सोचा अगर सच में किसी को मेरी जरूरत हो तो अब यहाँ तक आ ही गयी हूँ तो अंदर जाकर देख ही लेती हूँ ,सांस अंदर खींच कर भगवान का नाम लिया और अंदर चली गई,जैसे ही नैना अंदर दाख़िल हुई दरवाज़ा तड़ से बंद हो गया ,नैना चीख़ने लगी "कोई खोलो कोई खोलो मैं अंदर हूँ" वो चीख़ रही थी रो रही थी पर उसे सुनने वाला अब कोई नहीं था, फिर उसने सोचा रोहित जब उसे अपने बिस्तर पर नहीं पाएंगे तो वो उसे खोजने जरूर आएंगे ,नैना थक चुकी थी और उसकी आंख लग गयी, सुबह हो गयी कोई उसे खोजने नहीं आया, वो ज़ोर ज़ोर से दरवाज़ा पीट रही थी पर कोई उसे सुन नही पा रहा था।
शाम होने को आई नैना भूख प्यास से व्याकुल थी और उस कॉटेज से निकलने के सारे जतन कर चुकी थी कि तभी उसे रोहित के हँसने की आवाज़ आयी वो दौड़ कर दरवाज़े के पास आई, पर ये क्या रोहित के साथ नैना भी है तो फिर कॉटेज में कौन बन्द है, नैना की आंखें फटी की फटी रह गईं, वो कुछ समझ नहीं पा रही थी कि हो क्या रहा है,रात  आई नैना उसी बंद कॉटेज से अपने बेडरूम की खिड़की को निहार रही थी जहाँ वो अपने पति के साथ आई थी ।

दो दिन बाद नैना ने देखा रोहित घर जा रहा है, नैना की हालत बद्दतर हो चुकी थी पर अब भी वो उसे पुकार रही है पर रोहित उसे सुन नहीं पा रहा ,पर वो दूसरी नैना जो रोहित के साथ है वो सब देख और सुन पा रही है,उसने नैना की ओर देखा और मुस्कुराते हुए रोहित का हाँथ थाम कर उसके साथ चली गयी, नैना पथराई आंखों से सब देख रही थी,,,,,,,
एक हफ्ते बाद फिर से कोई नव विवादित जोड़ा उसी कॉटेज में रहने आया जहाँ नैना और रोहित रुके थे और फिर से कोई परछाई मदद के लिए बुला रही है।
क्रमशः
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प्राची मिश्रा

हाँ!मैं औरत हूँ

◆◆हाँ! मैं औरत हूँ◆◆ नए ज़माने के साथ मैं भी क़दम से क़दम मिला रही हूँ घर के साथ साथ बाहर भी ख़ुद को कर साबित दिखा रही हूँ हर क...