Saturday, April 25, 2020

कोरोना का कुरुक्षेत्र


ज बहुत कुछ लिखने की इच्छा है पर समझ नहीं आ रहा कंहाँ से शुरू करूँ और क्या क्या लिखूँ , क्या मुझे इस त्रासदी के बारे में लिखना चाहिए या फिर घरों में बंद करोड़ों परिवारों के बारे में लिखना चाहिए या फिर भूखे पेट बिलखते उस बच्चे के बारे में लिखना चाहिए जो आज सूनी सी सड़क पर अपने माता पिता के साथ पलायन को मजबूर है, मुझे याद है जब मैं छोटी थी तो दादी हैजा और अन्य महामारियों के फैलने की कहानी सुनाती थीं,और हम भी कहानी की तरह सुन लेते थे ना तो कभी उस परिस्थिति का मानसिक चित्रांकन किया और ना ही उस पीड़ा को महसूस किया जो दादी महसूस किया करती थीं उस घटना को बताते हुए ,उनकी आंखे दर्द से भर जाती थीं,वो कहते हैं ना "जौहर की गति जौहर जाने और न जाने कोय"....क्या पता था वो बचपन की कहानी एक दिन इस तरह विकराल रूप लेकर हम सबके द्वार पर मुंह फाड़े खड़ी होगी,आज उस पीड़ा को हरपल जी रहे हैं हम सब,कभी कभी सोचती हूँ कि क्या हम इसे टाल सकते थे ,यदि ऐसा कर पाते तो कितना अच्छा होता,यही सोच आज विश्व के हर व्यक्ति की है। 

यह बीमारी रक्तबीज की तरह बढ़ रही है,हर ओर विनाश दिख रहा है,ऐसे में एक बूढ़ी माँ जो अपनी खिड़की के पास अकेली कुर्सी पर बैठी है और अपने विदेश में रहने वाले इकलोते बेटे की यादों में खोई बाहर की ओर देख रही है , जिसने अभी पिछले महीने ही माँ से वादा किया था कि " माँ मैं अगले महीने तेरी बहू और पोती को लेकर आ रहा हूँ और इस बार तुझे भी ले जाऊंगा" वो माँ यही सोच रही है कि शायद वो एक सपना था जिससे वो अभी अभी जागी है ,क्योंकि एक हफ़्ते पहले ही उसको सूचना मिल चुकी है कि अब उसका बेटा और उसका परिवार नहीं रहा,ये सुरसा उन्हें निगल गयी जिस पोती का अभी मुँह भी नहीं देखा था उसका कोमल शरीर अंतिम संस्कार को भी तरस गया,यह बहुत मार्मिक है...ये दर्द दिन दुगना रात चैगुना बढ़ रहा है,क्या इस तांडव को रोकने कोई दुर्गा नहीं आएंगी,हम जानते हैं कि एक दिन यह सब ठीक हो जाएगा पर क्या सच में सब ठीक हो जाएगा,तो याद कीजिये महाभारत का युद्ध जिसमें विजय पांडवों की हुई परंतु क्या सच मे वो विजय सुखद थी...

मेरी गोद मे बैठी मेरी चार वर्ष की बेटी पूछती है "माँ मैं कब बाहर खेलने जाऊँगी" तो मेरे शब्द खो से जाते हैं कुछ नहीं होता कहने को,,,आप ही बताइए क्या यही भविष्य सोचा था आपने और हमने अपने बच्चों के लिये,मनुष्य मनुष्य से विलग हो गया और अपने ही आशियानें में कैद हो गया....प्रकृति की नाराज़गी हम सब को झेलनी पड़ेगी, फिर वो भी तो माँ है कब तक रूठी रहेगी हमसे कभी तो फिर से प्यार आएगा हमपे...आज समय आ गया है प्रकृति माँ को मनाने का जो हमने दिन रात उनका दोहन किया वो उन्हें लौटाने का,,,और अंत में यही कहूँगी कि इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता हमें तो बस इस विपदा को हराना है तो मजबूत बने जिम्मेदार बने, भारत माँ आज थोड़ी कमजोर पड़ी है पर क्या चिंता उसके एक सौ तीस करोड़ बच्चे उन्हें संभाल लेंगे, नियमों का पालन करें जियें और जीने दें...धन्यवाद
जय हिंद🙏

Thursday, April 23, 2020

उजड़ती प्रकृति


वृक्ष हमारे जीवन के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं यह बात कोई चर्चा का विषय नहीं है ,क्योंकि आज की इस शिक्षित आबादी में हर कोई इस बात से कभी ना कभी परिचित हुआ है,हम सब इस बात से भली भाँति अवगत हैं कि कल यदि पेड़ नहीं रहे तो क्या होगा ,फिर भी हम सब क्यों इतने बेफिक्र हैं क्यों हम हर दिन हज़ारों वृक्षों को काट रहे हैं , आप जानते हैं क्यों? क्योंकि हम मनुष्य किसी भी तथ्य को तब तक नहीं मानते जब तक वो बात सत्य सिद्ध ना हो जाये ,जैसे कि हम प्रलय में विश्वास नहीं करते और जो कुछ बिरले व्यक्ति विश्वास करते हैं हम उन पर विश्वास नहीं करते और इतना ही नहीं उनको लोग मूर्ख की संज्ञा देने से भी नहीं चूकते।

जहाँ मैं रहती हूँ वहाँ पर चारों ओर हरियाली हुआ करती थी,हवा में झूलते हुए यूकेलिप्टिस के पचासों पेड़ ऐसे लगते थे मानो मधुर धुन सुनके मग्न हो प्रकृति खुशियां मना रही हो , लेकिन आज वो सारे पेड़ काट दिए गए,मन इतना व्यथित है मानो किसी ने मेरे हिस्से की प्राण वायु छीन ली हो,और उन पेड़ों के काटने से जो सूनापन आया मानो किसी ने प्रकृति के अलंकार उतार दिए हों,मनुष्य का लालच न जाने पृथ्वी को किस  विनाश की ओर ले जा रहा है,क्या हम प्रकृति के कोप को भोगने के लिए तैयार हैं क्यूंकि वो दिन दूर नहीं जब प्रकृति हर उस विनाश का हिसाब मांगेंगी ,तो क्या हम उस परिस्थिति के लिए तैयार हैं।

यदि आज से पचास वर्ष पूर्व की बात की जाए तो उसकी तुलना में तब से अब तक सत्तर प्रतिशत वृक्ष कम हो गए हैं या यूं कहें कट गए हैं,कितने आश्चर्य की बात है फिर भी हम प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं क्या हुआ अगर कुछ पेड़ कट गए ,आज हम उन्नति के पथ पर आगे बढ़ तो रहे हैं..तो क्या इन पचास वर्षों में हमनें केवल प्रगति की या कुछ खोया भी...आप स्वयं सोचिये क्या बदला? हम सब बदल गए क्योंकि अब वायु में विष घुल रहा है ,कंही अल्पवृष्टि है तो कंही अनावृष्टि वर्षा ऋतु अपना अस्तित्व खोती जा रही है , अभी तक तो बोतल बंद पानी ही शुद्ध लग रहा है वो समय दूर नहीं जब बोतल बन्द प्राणवायु (ऑक्सीजन) भी खरीदना होगा,मनुष्य एक एक बूंद पानी का मोहताज हो जाएगा,क्या हम ऐसा निर्मम भविष्य अपनी आने वाली पीढ़ी को देना चाहेंगे? क्या इतना कठिन है एक वृक्ष लगाना क्या हम इतने स्वार्थी हो गए हैं कि जिस प्रकृति से इतना कुछ लेते हैं बदले में एक वृक्ष नहीं दे सकते...इसका उत्तर है क्यों नहीं...क्योंकि आज भी हमारे बीच ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने आने वाले ख़तरे को भाँप लिया है और अग्रसर हैं वृक्षों को बचाने के लिए एक बेहतर भविष्य देने के लिए..उदहारण अपने घर का ही देती हूँ मेरे त्रिपाठी परिवार ने निर्णय लिया कि हम अपने स्वजनों की समृति में पौधे लगाएंगे और उनको सहेजेंगे जब तक वो वृक्ष ना बन जाएं इस कार्य ने लोगों को प्रभावित किया अब लोग इसका अनुशरण करने लगे हैं मेरे पिताजी जो एक शिक्षक हैं और काका  जो एक समाज सेवक हैं उनके इस प्रयास से आज सैकड़ो पौधे वृक्ष बनने जा रहे ,यही जोश युवा वर्ग में जगाना है और प्रकृति उपहार और ऊसके अलंकार लौटाना है..
धन्यवाद 

नमस्ते मित्रों ये लेख मैंने दो माह पूर्व लिखा था पर प्रकाशित आज कर रही हूँ,सोचा भी नहीं था की आज जो मैं लिख रही हूँ उसका आने वाले दो महीनों अनुभव भी हो जायेगा ,यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है ,आशा करती हूँ प्रकृति माँ हम पर अपना स्नेह
फिर से बरसाए जिससे हम पुनः सामान्य जीवन जी सकें,मैं सभी पृथ्वीवासियोँ के स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए आप सभी से प्रार्थना करती हूँ की आपका जीवन बहुत अमूल्य है इसलिए "घर पर रहें ,जीते रहें ".

Tuesday, April 21, 2020

बूढ़ा बरगद

पिछले वर्ष मेरे दादाजी का देहांत हो गया, वो मुझसे बहुत स्नेह करते थे पंरतु मेरा ऐसा दुर्भाग्य था की मैं उनके अंतिम दर्शन नहीं कर सकी, ये बात मुझे आज भी बहुत कष्ट देती है ,हालाँकि मेरे दादाजी बायसी वर्ष की आयु में स्वर्ग सिधारे और अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ कर गए जो उनसे अत्यधिक प्रेम करता है ,परन्तु सभी मेरे दादाजी की तरह भाग्यशाली नहीं होते ,मैं एक वाकया सुनाना चाहूंगी "मेरे दादा जी की तेरहवीं का दिन था मेहमान आ जा रहे थे हम सभी काफी व्यस्त थे ,की तभी दादाजी के एक मित्र आ गए और पापा ने मुझे उनका ध्यान रखने के लिए कहा, चूँकि वो मुझे भली प्रकार से जानते थे इसलिए बड़े प्यार से मेरी कुशलक्षेम पूछने लगे तो मैंने भी उनका हाल चाल पूछा ,बस फिर क्या था छलछलायी आँखों और काँपती सी आवाज़ में बोले "बेटा मैं तुम्हारे दादाजी जितना भाग्यशाली नहीं हूँ जो मर जाऊं, बस जी रहा हूँ मैंने बड़े पाप किये हैं मुझे ईश्वर भी नहीं बुलाता है " सुनकर ह्रदय भर सा आया, मैंने उनके झुर्रीदार और कांपते हाथों को थाम लिया और सुनने लगी ,उनके पास बहुत सी बातें थीं बताने को कुछ नयी कुछ बहुत पुरानी,ऐसा लग रहा था जैसे बादल से बारिश की बूँदें बिना किसी की इजाज़त के गिरे जा रही हैं वो डेढ़ घंटे तक मुझसे बातें करते रहे मुझे भी अच्छा लगा ,वहीं दूर बैठे मेरे कुछ रिश्तेदार मुझ पर हँस भी रहे थे की "न जाने क्या बातें हो रही हैं "पर मुझे किसी की परवाह नहीं थी, मैं उनकी बातें सुनना चाहती थी ,उनकी पत्नी का निधन और परिवार के स्वार्थ ने उन्हें तोड़ दिया है अब वो अकेले ही जीवन यापन कर रहे हैं ,किसी ज़माने में किसी बड़े सरकारी ओहदे में कार्यरत होने और अच्छी खासी संपत्ति होने के बावजूद आज उनके जीवन में केवल अकेलापन और दुःख है ,कितना ह्रदय विदारक है ना !!!

 आजकल के इस मोबाइल युग रिश्तों की महत्ता कम होती जा रही है,हम इतने व्यस्त होते जा रहे हैं कि हमारे पास किसी भी संबंध को सहेजने का समय नहीं है...ऐसे में बाकी रिश्ते तो किसी तरह सम्भल जाते हैं अगर कोई पीछे रह जाता है तो वो हैं हमारे वृद्धजन हमारे माता पिता या दादा दादी या कोई और , आधुनिकता ने हमें इस तरह से जकड़ रखा है कि हम अपने मूल्यों को भूलते जा रहे हैं,लेकिन यह ठीक नहीं है,जिन्होंने अपने जीवन का एक एक पल हमारे नाम कर दिया क्या हम उन्हें अपना कुछ समय नहीं दे सकते हैं,और उससे भी दुखदः तो ये है कि हम उन्हें वृद्धाआश्रम में छोड़ देते हैं,जहां वो अपने जीवन के उन सबसे मुश्किल समय को बिताते हैं जिस समय उन्हें अपने बच्चों की सबसे अधिक आवश्यकता होती है....उनकी दिन प्रतिदिन बूढ़ी होती आंखें अपने बच्चों का इंतजार करते करते थक कर बंद हो जाती हैं,,और आपको जानकर आश्चयॆ होगा इनमें अधिकतर माता पिता उच्च पदों पर कार्य  कर रहे लोगों के होते हैं....पैसे रूपये और सुख सुविधाओं से हम अपने माता पिता का अकेलापन दूर नहीं कर सकते , इसलिए उन्हें समय दें क्योंकी हम सब भी एक दिन वृद्ध होंगे इसे सदा याद रखें,,,आपके बच्चे भी आपको देखकर ही सीखते हैं इसलिए वही करें जो आप पाना चाहते हैं,
बरगद पुराना ही सही आँगन में रहने दो..... 
....धन्यवाद

Monday, April 20, 2020

परफ़ेक्ट माँ


माँ वो शब्द है जो जब भी ज़ुबान पर आता है तो दुनिया बड़ी ही खूबसूरत लगने लगती है ,माँ पुकारने में जो संतोष मिलता है जो तसल्ली मिलती है उसकी तुलना दुनिया की किसी भी चीज से नहीं की जा सकती है ,घर में घुसते ही  बिना किसी काम के अगर दो बार माँ न पुकारा तो घर में आना सफल नहीं होता ,आँखों के सामने रखी कोई भी चीज बिना माँ के अगर मिल जाये तो वो आनंद कहाँ आता है ,और माँ भी जब तक दिन में चार बार डाँट ना लगा दे दिन भी तो अधूरा सा लगता है ,खाने का स्वाद माँ की खरी खोटी सुनके ही दोगुना हो जाता है , पापा की डाँट को गलत बताके जब माँ खुद बनावटी डाँट लगाती है तब जो सुकून मिलता है उसकी तुलना किसी डाँट से नहीं हो सकती है, अपना बच्चा हमेशा थोड़ा कमज़ोर ही लगता है माँ को भले ही बच्चा कितना ही मोटा हो...... 

पहले समय में केवल माँ जो बच्चों का प्यार और दुलार से पालन पोषण करती और उसको सही और गलत की सीख देती थी और बच्चा भी उन्ही सीखों को लेकर बड़ा हो जाता था,लेकिन अब समय बदल गया है और अब माँ को केवल ममतामयी माँ नहीं बनना है बल्कि उसे एक दस हाथ वाली और दस सर वाली देवी बनना पड़ेगा,क्यूंकि अब माँ का जीवन चुनौतियों और प्रतियोगिताओं से भरा हुआ है,जिसमें हर माँ को प्रथम आना है और इसकी जिम्मेदारी बच्चों नाज़ुक कन्धों पर होती है, इस बढ़ती आधुनिकता में माँ और बच्चों का रिश्ता बदलता जा रहा है ,हर माँ को परफेक्ट बनना है पर क्या आप सच में जानती हैं की परफेक्ट माँ की परिभाषा क्या है ,क्या आप अपने बच्चे को दूसरों के नज़रिये से देखती हैं या फिर आपको अपने बच्चे में सिर्फ अच्छाइयाँ ही नज़र आती हैं ,अगर ऐसा है तो संभल जाइये और नज़रिया बदलिये और परफेक्ट माँ नहीं अच्छी माँ बनिए। 

दूसरों से पहले खुद अपने बच्चे का आंकलन कीजिये ,क्यूंकि हर बच्चा अलग होता है और उसकी क्षमताएँ भी अलग होती हैं और ये बात एक माँ से बेहतर कोई नहीं समझ सकता ,इसलिए अगर आप परफेक्ट बनने की दौड़ में हैं तो थोड़ा रुक कर सोच लें कहीं आपका बच्चा पथ पर पीछे तो नहीं छूट गया। आपका बच्चा आपका सर्वस्व है उसे परफेक्शन का सर्टिफिकेट न बनायें ,उसमें उत्साह भरें ऊर्जा भरें और सही दिशा दें और फिर देखिये आपका बच्चा आपको गौरवान्वित करेगा। 
और हमेशा अच्छी माँ बनने का प्रयास करें परफेक्ट तो आप हो ही जाएँगी।  

धन्यवाद 



Friday, April 17, 2020

Hum Tum Aur Chik Chik


Aaj ka jo subject hai wo to har kisi ki life me garmi bhar deta hai,wo jab bhi shuru hota hai humari body aur mind dono kaafi garam ho jate hai...na na galat mat samjhna mera matlab hai CHIK CHIK, yani annbann ya tanaav ya arguments ya chote mote jhagde.....ab chahe wo husband wife ke beech me hon ya neighbours ke beech me ya fir office me kisi coworker ke saath, garmi to badh hi jaati hai, aur wo garmi sirf aap tak nahi rahti wo aas pass ki sabhi cheejon ko garam kar deti hai...aur agar baat kuch jyada hi bigad jaaye to fir aag lagne ki ki bhi poori sambhawana hoti hai, jo ki aankhon se to nahi dikhti par bahut kuch khaak kar sakti hai.

sochne wali baat hai na ki jo garmi mashsoos nahi hoti wo kitni garmi badha sakti hai aur jo aag dikhayi nahi deti wo kitna kuch jala sakti hai....to kya karen ab hain to insaan hi gussa aana to natural hai...bilkul ishme kisi ka bas nahi hai, to kya karen sab kuch yun hi barbaad to nahi hone de sakte, kyunki do pal me jo kuch bhi khaak ho jaata hai use banane me hume barson lage hain, fir chahe wo koi rishta ho ya dosti , to main kahungi aap AC ki tarah bane, bahar kitni bhi garmi nikal rahi ho par aap andar se cool rahenge, jab aap andar se cool rahenge to aap aisa koi bhi faisla lene se bachenge jo aapko nuksan pahunchye...kyunki bahar ki garmi utna nuksan nahi pahuchaati jitna andar ki aag, agar aapka dimag cool hai aur aapke sath koi argument kar bhi raha hai to aap samajh payenge ki aapko kya karna hai aur kya nahi...kyunki aapke sath argument karne wala bhi andar se jal hi raha hota hai , aise me ho sake to apni thandak ka ahsaash unhe bhi hone den ho sakta hai wo shant ho jaye aur samajh paaye ki use kya nahi karna hai.

kabhi kabhi AC ban jana fayedemand hota hai....ek to bahut kuch tootne se bach jaata hai aur doosra saamnewale ke dil me aapke liye samman bhi badhta hai....par ye sabhi ke liye thoda mushkil hoga kyunki har kisi ka tamper alag hota aur koi koi to poora oven hi ban jata hai.....aise me aapko jyada ton ke AC ki jaroorat hogi aise me jiske sath aap argu kar rahe hain ushki achchi baaton ko yaad kar sakte hain ye aapko thoda rahat pahuchayega ya fir aap 100 tak counting kar sakte hain ya fir aap apni favourite dish ke baare me soch sakte hain aur bahut kuch bikharne se bachcha sakte hain, par iske sath sath apni self respect ka bhi khayal rakhen aur jahan par jawab dena jaroori ho aur aapke paas ke harmless jawab ho to jaroor den.

 hum insaan hain hum chahen to kya nahi kar sakte sab kuch humari soch par depend karta hai kyunki hum jaisa sochte hain waise hi ban jaate hain, life me thodi bahut nok jhok achchi hai par ise jung ka maidan na banayen ,arguments ko khatti meethi chashni hi bane rahne den use karele ka juice na banayen , kyuki jab bhi aap gusaa karte hain aur jis par bhi karte hain to doosron se jyada aap apna nuksaan karte hai , bhale hi aap kisi argument me jeet jaayen par asaliyat me aap bahut kuch haar chuke hote hain ishliye argument ko khatam karne ki koshish karen winner banne ki nahi , apne andar ke AC ko humesha on rakhen aur CHIK CHIK se bache rahen....aur khush rahen.
Thank you

Thursday, April 16, 2020

Relationships Tamasha

kya aap bata sakte hain aap sabse jyada confuse kab hote hain.....main jaanti hun aapke paas bahut saare jawab honge jaise ki ,while shopping ya choosing carrier ya making friends etc.,but ek aur bahut hi important part hai humare life ka janha hum sabse jyada confuse hote hain aur wo hai RELATIONSHIP....yanha par main kisi ek relationship ki baat nahi kar rahi hun, balki main har uss rishte ki baat kar rahi hun jise perfect banane ke liye aur usme fit hone ke liye hum din raat koshish karte rahte hain, aur yanha tak ki khud to badalne ki bhi koshish karte hain, aur agar successful ho jate hain to bahut achchi baat hai, aur agar fail huye to khud par question mark lag jata hai...ishiliye life ka ye part itna confusing hai,,,kyunki ishme varieties bahut hain.

Relationship ke success aur failure dono ke baad fir se new challenges face karne hote hain aur har baar ye level hard to harder hote jate hain, kyunki agar koi kisi relationship me fail hai to bhi har din naye challenges hain aur agar koi successful hai to uss par uss relationship ko barkarar rakhne ki responsibility hai aur har din ek naya challenge hai....to fir hume kya karna chahiye ,hum har taraf relationships se ghire huye hain , rishte nibhna to chor nahi sakte aur har rishte me hum fit bhi nahi aa sakte ...bilkul yahi samjhnane ki koshish kar rahi hun main ki hume rishte to nibhane hai par khud ko tod marod ke nahi , aap jaise hain waise hi rahen aap insaan hain bhagwan nahi , aap har rishte ke according khud ko badal nahi sakte aur agar aap aisa karne ki koshish karte hain to aap khud ko kho hi dete hain saath hi saath aap un rishton ko bhi khone lagte hain jinke liye aap badalne ki koshish kar rahe hain.

Relationships life ko convenient banane ke liye aur hume ek nayi disha dene me help karte hain, aur agar aap ish baat ko nahi samajh paye hain to kuch der shaant baithiye aur sochiye, kyunki life har kisi ko doosra mauka jaroor deti hai, har rishte ki respect bhi utni hi jaroori hai jitna kisi relation ko nibhana...aur agar pyar se baat ban jaati hai to kya baat hai, kabhi kabhi thoda jhuk jana bhi galat nahi hai, par khud ko badalna ya khud ki hobbies ya wishes ko kisi relation ke liye dabana bahut galat hai....kyunki ek rishta aapka apne aap se bhi hai ushe bhi nibhayen aur khush rahen...
Thank you




Monday, April 13, 2020

Body Parameters






Main hamesha sochti hun ki hamari body ke parameters kaun decide karta hoga ya fir kisne ye decide kiya hoga ki body kaisi honi chahiye, kis tarah ki body perfect hogi aur imperfect body me kya kya kamiyan hongi, Moti body badsoorat maani jayegi aur slim body perfection ki category main aayegi....fairness par kaseede padhe jayenge aur dark skin ko self confidence ki kami rahegi...kyunki jahan tak main samjhti hun body ka hamari personality se koi lena dena nahi hai, kyunki parameters body ke liye ho sakte hain par hamara dimaag ish catagory me nahi aata, to fir ye factor kanha se aaya ,kisne ishko invent kiya...kyun kisi fat guy ko dekhte hi har doosra aadmi ushe weight loss ka suggestion dene lagta hai jo ki ushe bilkul nahi cahiye.

hamari body kaisi ho ye hum decide karte hain ya kabhi kabhi nahi bhi karte hain, par hamari ka body coordination hamare dimaag ke sath aisa hota hai jaise maa aur bacche ka,ab yanha par bachcha hai hamari body aur maa hai dimaag,to maa apne bachche khud chahe kitna bhe daant le punish karle par agar kisi bahar wale ne ungli uthai to maa bhadak jaati hai,matlab hamara dimaag jo ki pahle to doosron ladta hai fir khud ke bachche ko bura bhala bolta hai jisme ki dimag aur body ke beech ek jung shuru ho jati hai,jiska result kabhi kabhi bahut effective ataa hai aur kabhi kabhi bahut hi unexpected ,jaisa ki maine pahle hi bataya dimaag body ki maa hai to maa bhi to kayi tarah ki hoti aur bacche bhi kayi tarah ke hote hain,kuch maayen to sirf apne samne bacchon ko dant lagati hain aur kuch sabke samne,waise hi kuch bachche maa ka kahna maante hain ,kuch nahi maante aur kuch thoda maante hain...par jara sochiye kitna achcha ho agar hamara dimag ek samjhdaar maa ho jo bakhoobi apne bachche ho handle karna janti ho,jo apne bachche ki kamiyon par ushe daante nahi balki soodhrne ki koshish kare,ushe himmat de confidence de,jisse wo duniya ke samne khud ko kam na samjhe...

ye hum sabki kahani hai hum sab kisi na kisi body shaming se ghire hain,kyunki hum dimaag aur body me dosti nahi kara pate hain,aur dono ke jhagde ke beech uljhe rahte hain par agar hum ish jagde ko suljha lete hain aur dono ek team ki tarah kaam karne lagte hain to hum wo har goal achieve kar sakte hain jo hum abhi tak nahi kar paye hain...to pahle apne andar ke jhagde ko suljhaiye aur fir dekhiye duniya kaise aapka muh taakte rah jayegi,,,kyunki jo andar se kalm aur peaceful hai uska koi kya bigaad lega,aap ek nayi shine ke sath duniya se milenge aapke andar itni energy hogi ki bahar ki negativity aapko choo bhi nahi payegi...to aaj se hi apni body aur dimaag ki dosti karana shuru kijiye aur khush rahiye!!!


Thank you...

हाँ!मैं औरत हूँ

◆◆हाँ! मैं औरत हूँ◆◆ नए ज़माने के साथ मैं भी क़दम से क़दम मिला रही हूँ घर के साथ साथ बाहर भी ख़ुद को कर साबित दिखा रही हूँ हर क...